खास बातें
Gudi Padwa Ugadi चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का समय एक साथ कई तरह के पर्वों का संगम होता है. इस दिन जहां हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है, वहीं इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी आरंभ होते हैं.
विज्ञापन
विज्ञापन
Navratri Celebration चैत्र माह का पहला दिन, बहुत देने वाला समय होता है. देश भर में यह किसी न किसी रुप में संपन्न होता है. हर ओर इस दिन की अलग ही धूम दिखाई देती है. जहां उत्तर भारत में नवरात्रि का रंग होता है वहीं दक्षिण भारत की ओर उगादी का रंग दिखाई देता है.
विंध्याचल में कराएं चैत्र नवरात्रि दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य : 09 अप्रैल - 17 अप्रैल 2024 - Durga Sahasranam Path Online
देश भर में रहती है इसकी अलग रंगत
उत्तर से दक्षिण तक सुनाई देती है त्यौहारों की झनक अलग होती है. सारे देश में हिंदू नव वर्ष का उत्साह दिखाई देता है. आइये जानें देश भर में मनाए जाने वाले इन त्यौहारों का उत्साह ओर नवरात्रि, उगादि, गुड़ी पड़व कहां कैसे मनाए जाते हैं.चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का समय लोगों में खुशी की लहर लाने वाला समय होता है. इस समय पर हर कोने में किसी न किसी रुप में आध्यात्मिकता एवं धार्मिक उत्साह ही लहर दिखाई देती है. इन त्योहारों के द्वारा लोग अपने उत्साह और भक्ति को दर्शाते हैं.
कामाख्या देवी शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024 - Durga Saptashati Path Online
यह त्यौहार वसंत की शुरुआत का भी जश्न मनाता है, जो सर्दियों के मौसम की कठोरता से राहत का प्रतीक है. इस दिन पारंपरिक भोजन के रुप में महाराष्ट्र में पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है. समर्पण एवं नई आशाओं का संचार इस समय पर हर ओर दिखाई देता है.
नव चेतना का आगमन एवं संपन्नता एवं सुख का आगमन होता है. जहां हिंदू पंचांग के अनुसार यह नव वर्ष काल गणना का समय होता है वहीं उगादि के रुप में भी यह नई शुरुआत को दर्शाता है और इसे देश के दक्षिण भारत के अनेक स्थानों पर उत्साह के साथ मनाया जाता है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोगों के लिए इस दिन का बहुत विशेष महत्व माना गया है.
चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024
उगादी परंपराओं का नव रंग
भारत में आज कई त्योहार एक साथ मनाए जा रहे हैं. हिंदू समुदाय के पारंपरिक पंचांग के अनुसार, उगादी के रूप में मनाया जाने वाला त्योहार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. उगादि दो संस्कृत शब्दों युग और आदि से मिलकर बना है. यह नई शुरुआत का समय होता है. इस दिन का तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोगों के लिए विशेष महत्व है. इस समय पर घर में खुशियां मनाई जाती हैं. उगादि इस बात का प्रतीक है कि जीवन की अच्छाइयों का आनंद लेना और नए साल में सभी स्वादों का जश्न मनाना.हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर सर्व कल्याण हेतु कराएं 11000 मंत्रों का जाप और पाएं गृह शांति एवं रोग निवारण का आशीर्वाद 09 -17 अप्रैल 2024
इस समय पर परंपराओं के अनुसार सुबह तेल से स्नान होता है. इसके बाद स्नान करके नए वस्त्रों का धारण करने का समय होता है. लोग नए साल में तरह तरह के पारंपरिक पकवानों को खाते हैं. नई चीजों का स्वाद चखने के लिए इकट्ठा होते हैं. लोग आने वाले वर्ष की नई शुरुआत और खुशियों को चिह्नित करने के लिए उगादी मनाते हैं.