खास बातें
संत तुकाराम जयंती भारत के महान संतों में से एक की याद दिलाती है, Sant Tukaram Maharaj जिन्होंने भक्ति के रंग को और भी अधिक निखारा. Sant Tukaram teachings तुकाराम महाराज की की शिक्षाओं से बदला लोगों का जीवन.संतों की महान गाथाओं में संत तुकाराम जी का जीवन अत्यंत विशेष स्थान पाता है. Sant Tukaram जी का समय 17वीं सदी के करीब का माना गया है. तुकाराम जी भारत के मराठी संत-कवि थे, Tukaram Gatha से बोध होता है कि कैसे उन्होंने समाज पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. Sant Tukaram Jayanti का पर्व भारत भर में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
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मराठी साहित्य के महान भक्त संत और कवि संत तुकाराम
मराठी साहित्य के महान भक्त संत और कवियों में से एक संत तुकाराम जी ने भक्ति आंदोलन में अग्रणी स्थान रहा है.संत तुकाराम का जन्म देहू में हुआ था, संत तुकाराम जी को उन संतों में स्थान मिलता है जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से सभी के भीतर भक्ति की लौ जगाई और भक्ति के पदों का संचार किया. महाराज तुकाराम जी भगवान विठल की भक्ति करते थे. वैष्णव संप्रदाय में भगवान विट्ठल को भगवान कृष्ण का ही एक रूप माना जाता है. संत तुकाराम जी ने अपना संपूर्ण जीवन भक्ति की अलख जगाने में समर्पित कर दिया.पूजा बुक करें!: https://www.myjyotish.com/astrology-services/puja
संत तुकाराम जी का जीवन
अपने जीवन में संत तुकाराम जी ने कई कष्ट सहे. अपने परिवार का दुख भी उन्होंने झेला. भीष्ण अकाल में अपनी पत्नी रखुमबाई और एक बेटे को खो दिया था. अपनी पहली पत्नी और बेटे की मृत्यु के बाद तुकाराम की गृहस्थ जीवन में रुचि कम होने लगी, लेकिन उन्होंने अपने परिवार का पूरी तरह से त्याग नहीं किया उनकी दूसरी पत्नी जीजाबाई थीं. कहा जाता है कि तुकाराम ने अपने पिता की मृत्यु के बाद गरीबों को दिया गया कर्ज माफ कर दिया था. हो गया. उनके द्वारा किये गये कार्यों ने समाज को बहुत प्रभावित किया.टैरो कार्ड रीडिंग भविष्यवाणी: https://www.myjyotish.com/tarot-card
अभंग के महान कवि
तुकाराम जी ने भक्तिपूर्ण रचनाएँ लिखी लोगों को भक्ति में प्रेरित किया. उन्होंने अपने लेखन का आधार भक्ति तो थ अलेकिन साथ ही समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को समाप्त करने के लिए भी उन्होंने अपनी कलम को मजबूती दी. उन्होंने भक्ति पर अनेक रचनाएँ लिखीं. अभंग काव्य का श्रेय उन्हीं को जाता है और उन्होंने अपने साहित्य में लोक जीवन को भक्ति से जोड़ने का प्रयास किया. सभी प्रकार के विरोधों का सामना करने के बावजूद भी उन्होंने जीवन के शुभ कार्यों को नहीं रोका. उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य भक्ति के मार्ग पर चलते हुए लोगों के लिए लाभकारी कार्य करते रहना था.संत तुकाराम जी के भजन
हरि बिन रहिया न जाए जिहिरा।कब की थाड़ी देखें राहा॥
क्या मेरे लाल कवन चुकी भई।
क्या मोहिपासिती बेर लगाई॥
कोई सखी हरि जावे बुलवान।
बारहि डारूँ उस पर ये तन॥
तुका प्रभु कब देख पाऊँ।
पासी आऊँ फेर न जाऊँ॥
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तन भंज्याय ते बुरा
तन भंज्याय ते बुरा, ज़िकीर ते करे।
सीर काटे ऊर कुटे, ताहाँ सब डरे॥
ताहाँ एक तूही, ताहाँ एक तूही।
ताहाँ एक तूही रे, बाबा हम तुम नहीं॥
दीदार देखो, भूले नहीं, किस पछाने कोये।
सचा नहीं पकड़ सके, झूठा झूठे रोए॥
किसे कहे मेरा किन्हो, संत लिया मास।
नहीं मेलो मिले जीवना, झूठा किया नास॥
सुनो भाई कैसा तोही, होय तैसा होय।
बाट खाना अल्ला कहना, एक बार तो होय॥
भला लिया भेख मुंडे, अपना नफ़ा देख।
कहे तुका सो ही सखा, हाक अल्ला एक॥