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Tripura Sundari 2024 : जानें गुप्त नवरात्रि के पावन समय देवी त्रिपुर सुंदरी देवी पूजा और इसका महत्वMata Tripura Sundari : गुप्त नवरात्रि के समय पर माता त्रिपुर सुंदरी का पूजन भक्तों को सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला माना गया है.
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Tripura Sundari 2024 : जानें गुप्त नवरात्रि के पावन समय देवी त्रिपुर सुंदरी देवी पूजा और इसका महत्व
Mata Tripura Sundari : गुप्त नवरात्रि के समय पर माता त्रिपुर सुंदरी का पूजन भक्तों को सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला माना गया है. माता के पूजन द्वारा तंत्र एवं मंत्र दोनों की सिद्धि का सुख प्राप्त होता है.
Magh Gupt Navratri 2024: माघ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि के दौरान माता के इस तीसरे स्वरुप का पूजन भक्ति भाव के साथ किया जाता है. श्री त्रिपुर सुंदरी माता जिन्हें त्रिपुरा सुंदरी भी कहा जाता है. इस समय माता को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार से माता का पूजन संपन्न होता है.
गुप्त नवरात्रि के दौरान माता के सभी रुपों को विशेष रुप के साथ पूजा जाता है तथा हर दिन माता की पूजा का स्वरुप भी अलग दिखाई देता है. जैसा कि नाम से पता चलता है देवी माता तीनों लोकों में सबसे सुंदर हैं. महाविद्या में से एक हैं अत: यह देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करती हैं. इन्हें तांत्रिक पार्वती के रूप में भी जाना जाता है. देवी को षोडशी को ललिता और राजराजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. आइये जान लेते हैं गुप्त नवरात्रि के समय कैसे करें माता का पूजन और माता के स्त्रोत का प्रभाव
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पौराणिक आख्यानों में है देवी का वर्णन
भागवत पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में भी देवी का वर्णन मिलता है. देवी भगवती त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुरा: भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और 51 शक्तिपीठों में से एक है. त्रिपुरा राज्य का नाम माता त्रिपुर सुंदरी के नाम पर रखा गया. माता को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है क्योंकि तीनों लोकों में उनसे सुंदर कोई नहीं है. त्रिपुर सुंदरी माता भी तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है. गुप्त नवरात्रि के मौके पर देवी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.देवी उत्पत्ति एवं शक्तिपीठ
कथाओं के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपने अपनी पुत्री सती को उनके पति भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. माता सती यज्ञ में जाना चाहती थीं लेकिन शिव जी जाने से मना कर रहे थे लेकिन इसके बाद भी सती यज्ञ में गयीं. जब सती आईं तो दक्ष ने अपनी मां की बात नहीं मानी और उनके सामने महादेव के बारे में अपमानजनक बातें कहीं. सती अपने पति के बारे में कही गई बातों को सह नहीं कर पाईं. उसी समय उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी प्राण शक्ति को समाप्त कर दिया. यहीं से शक्ति बनने की कहानी शुरू हुई. भगवान शिव ने यज्ञ विध्वंस कर दिया और सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे. तब भगवान विष्णु ने महादेव की माया तोड़ने के लिए सती को सुदर्शन चक्र से कई टुकड़ों में काट दिया. जिन स्थानों पर सती के शरीर के अंग गिरे वे शक्तिपीठ कहलाये जिनमें से एक त्रिपुर सुंदरी माता के स्थान के रुप में विराजमान है.गुप्त नवरात्रि में कराएँ मां दुर्गा सप्तशती का अमूल्य पाठ, घर बैठे पूजन से मिलेगा सर्वस्व 10 फरवरी -18 फरवरी 2024
श्री त्रिपुरसुन्दरी स्तोत्रम्
कदंबवनचारिणीं मुनिकदम्बकादंविनीं,
नितंबजितभूधरां सुरनितंबिनीसेविताम् |
नवंबुरुहलोचनामभिनवांबुदश्यामलां,
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|1|
कदंबवनवासिनीं कनकवल्लकीधारिणीं,
महार्हमणिहारिणीं मुखसमुल्लसद्वारुणींम् |
दया विभव कारिणी विशद लोचनी चारिणी,
त्रिलोचन कुटुम्बिनी त्रिपुर सुंदरी माश्रये ॥|2|
कदंबवनशालया कुचभरोल्लसन्मालया,
कुचोपमितशैलया गुरुकृपालसद्वेलया |
मदारुणकपोलया मधुरगीतवाचालया ,
कयापि घननीलया कवचिता वयं लीलया ॥|3|
कदंबवनमध्यगां कनकमंडलोपस्थितां,
षडंबरुहवासिनीं सततसिद्धसौदामिनीम् |
विडंवितजपारुचिं विकचचंद्रचूडामणिं ,
त्रिलोचनकुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|4|
कुचांचितविपंचिकां कुटिलकुंतलालंकृतां ,
कुशेशयनिवासिनीं कुटिलचित्तविद्वेषिणीम् |
मदारुणविलोचनां मनसिजारिसंमोहिनीं ,
मतंगमुनिकन्यकां मधुरभाषिणीमाश्रये ॥|5|
स्मरेत्प्रथमपुष्प्णीं रुधिरबिन्दुनीलांबरां,
गृहीतमधुपत्रिकां मधुविघूर्णनेत्रांचलाम् |
घनस्तनभरोन्नतां गलितचूलिकां श्यामलां,
त्रिलोचनकुटंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥|6|
सकुंकुमविलेपनामलकचुंबिकस्तूरिकां ,
समंदहसितेक्षणां सशरचापपाशांकुशाम् |
असेष जनमोहिनी मरूण माल्य भुषाम्बरा,
जपाकुशुम भाशुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम ॥|7|
पुरम्दरपुरंध्रिकां चिकुरबंधसैरंध्रिकां ,
पितामहपतिव्रतां पटुपटीरचर्चारताम् |
मुकुंदरमणीं मणिलसदलंक्रियाकारिणीं,
भजामि भुवनांबिकां सुरवधूटिकाचेटिकाम् ॥|8|
इति त्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं संपूर्णम्