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तंत्र का संबंध कई प्रकार की तामसिक चीजों से जुड़ा माना गया है. तंत्र की बात आते ही मादक पदार्थों एवं यौन कर्म भी साथ में जुड़ जाते हैं. लेकिन वास्तविकता में जिन लोगों ने तंत्र का अनुभव किया है, उनके लिए यह विद्या परिवर्तनकारी मार्ग की तरह रही है.
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तंत्र और उसके द्वारा आध्यात्मिक प्रगत्ति
प्राचीन काल से ही तंत्र का ज्ञान निहित रहा है. तंत्र एक अभ्यास है जो शारीरिक अंतरंगता से परे, आध्यात्मिकता चेतना के विकास को बढ़ाने का कार्य करता है. तंत्र की शक्ति को अपनाकर, हम एक ऐसी यात्रा पर निकल सकते हैं जो चीजों को पुनर्जीवित कर सकती है. इसके साथ ही यह जीवन के उस विकास के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है जिसे साधना के स्तर हेतु उत्तम माना गया है. हमारी चेतना से अंतरंगता और जुड़ाव की गहरी भावना को बढ़ाने का काम तंत्र के द्वारा संभव हो पाता है.
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तंत्र को समझना है तो सबसे पहले गलत धारणाओं को खत्म करना जरुरी है. यह पहचानना जरूरी है कि तंत्र का संबंध आध्यात्मिकता के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने वाला होता है. यह मन, शरीर और आत्मा तीनों के संगम को प्रदान करने वाला है. तंत्र भावनात्मक और ऊर्जावान संबंधों की खोज पर जोर देता है. इसी गहरे जुड़ाव को पाकर हम अपने भीतर के आत्म ज्ञान को समझ सकते हैं.
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तंत्र एवं इसका प्रभाव
तंत्र मानता है कि हमारी देह ऊर्जावान. ऊर्जा के इस प्रवाह को आत्मज्ञान के लिए कैसे उपयोग में लाया जाए यही तंत्र का रहस्य भी है. तंत्र की कुछ प्राथमिक बातों में श्वास क्रिया, ध्यान और शारीरिक जागरूकता जैसी विभिन्न प्रथाओं के माध्यम से, तंत्र हमें अपनी ऊर्जा को विकसित करने का अवसर देता है. चीजों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ने की हमारी क्षमता को तंत्र क्रियाओं द्वारा तेज किया जा सकता है.