amavasya grahan
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इस बार आने वाली आश्विन अमावस्या के दिन ग्रहण की स्थिति का निर्माण होगा. यह सूर्य ग्रहण का समय होगा.
14 अक्टूबर को सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर सूर्य ग्रहण होगा लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए न तो इसका सूतक भारत में मान्य होगा किंतु जिन स्थानों पर यह दिखाई देगा वहां इसका सूतक मान्य होगा. पितृ अमावस्या के दिन लगने वाला यह ग्रहण विशेष होगा. इस दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विघ्न किए जा सकते हैं.
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सूर्य ग्रहण समय 2023
सूर्य ग्रहण आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा, ग्रहण रात्रि के करीब आरंभ होगा. सूर्य ग्रहण
रात 08:34 बजे शुरू होगा और 26:24 बजे समाप्त होगा. यह ग्रहण भारत में दृष्य नहीं देगा. ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है. सूर्य ग्रहण शुरू होने पर मानसिक जप करना बेहद शुभ माना जाता है. यह समय ग्रहण शांति से जुड़े कामों के लिए उचित होता है.
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इस समय के दौरान स्नान दान इत्यादि से संबंधित कार्य किए जाते हैं. ग्रहण के समय मध्य काल में मंत्र जप करना सकारात्मक प्रभाव देने वाला होता है. इसी के साथ ग्रहण के मोक्ष काल समय पर दान करना चाहिए उत्तम होता है तथा ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए. ऎसा करने से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाव होता है तथा जीवन में ग्रहण की अशुभता का असर नहीं पड़ता है.
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सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें
सूर्य ग्रहण के समय जप और तप करने का विशेष महत्व माना गया है. इस समय भगवान सूर्य की पूजा कर सकते हैं, शिव मंत्रों का जाप कर सकते हैं इसके अलावा गायत्री मंत्र जाप किया जा सकता है. आप इस दौरान राशि अनुसार मंत्र जाप भी कर सकते हैं. भोजन इत्यादि में तुलसी दल या कुश मिलानाआवश्यक माना जाता है ताकि ग्रहण के कारण ये चीजें दूषित न हों.
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शास्त्रों में ग्रहण के समय पूजा-पाठ करना उचित नहीं माना गया है लेकिन मंत्र जाप करने से ग्रहण के प्रभाव को कम किया जा सकता है. इसके अलावा ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति को छूना भी वर्जित है.
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ग्रहण काल के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए. सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. इस समय के दौरान बाल या नाखून काटने से बचना चाहिए और ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को विशेष ध्यान रखना चाहिए.
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