सारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इस सावन बाबा बैद्यनाथ में कराएं रुद्राभिषेक - 04 जुलाई से 31 अगस्त 2023
दक्षिणायन का प्रभाव
साल में सूर्यदेव छह महीने उत्तरायण रहते हैं और छह महीने दक्षिणायन में रहते हैं. सूर्य हर महीने अपनी राशि बदलता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य उत्तरायण होता है और उसके बाद जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है और मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तब दक्षिणायन शुरू होता है. 16/17 जुलाई को कर्क संक्रांति के बाद सूर्य देव की उत्तरायण की गति पूरी हो जाती है और इसके साथ ही वे दक्षिणायन होने लगते हैं जिस प्रकार सूर्य निकलने पर दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं, उसी प्रकार सूर्य निकलने पर दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं. पाश्चात्य सायन में 21 जून यानी जिस दिन सूर्य दक्षिणायन होता है उस दिन सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती हैं, जिसके कारण इस दिन व्यक्ति की छाया लगभग न के बराबर हो जाती है. वैदिक ज्योतिष अनुसार यह समय जुलाई के मध्य में पड़ता है.
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सूर्यदेव के राशि परिवर्तन का प्रकृति पर असर
सूर्य के राशि बदलाव के साथ ही प्रकृति में जो चेंज होते हैं वह सभी पर पड़ते हैं. इस समय के दौरान सूर्य की गर्मी में कमी का असर दिखाई देता है. दक्षिणायन का जुलाई समय निरयण संक्रांति में विशेष रुप से स्थान रखता है. इस समय पर कर्क में सूर्य का जाना एक विशेष गोचर की घटना भी होती है. इसका असर राशियों पर भी सीधे तौर पर पड़ते देखा जा सकता है. यह समय सर्दीयों के आगमन का भी होता है.