सावन शिवरात्रि पर 11 ब्राह्मणों द्वारा 11 विशेष वस्तुओं से कराएं महाकाल का सामूहिक महारुद्राभिषेक एवं रुद्री पाठ 2023
सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग उत्तम फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि जो भक्त सोमवती अमावस्या पर व्रत रखकर शिव पूजा करते हैं उन्हें पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. उनके पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली आती है. इस साल सावन की हरियाली अमावस्या बहुत खास है, क्योंकि इस दिन सावन सोमवार के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं सावन की सोमवती अमावस्या कब है, मुहूर्त और महत्व.
लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए इस सावन सोमवार उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में कराएं रुद्राभिषेक 04 जुलाई से 31अगस्त 2023
सावन सोमवती अमावस्या तिथि मुहूर्त
सावन माह की सोमवती अमावस्या 17 जुलाई 2023 को है. इस दिन श्रावण माह का दूसरा सावन सोमवार भी पड़ रहा है. ये साल 2023 की दूसरी सोमवती अमावस्या होगी. अमावस्या और सोमवार दोनों ही दिन शिव पूजा खास मानी जाती है. ऐसे में इस दिन साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा. सावन सोमवती अमावस्या तिथि की शुरुआत 16 जुलाई 2023, को रात 10.08 बजे से होगी. सावन अमावस्या तिथि की समाप्ति 18 जुलाई 2023, 24.01 पर होगी.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
सोमवती अमावस्या करें ये उपाय
सावन सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष विधान होता है. इस दिन वृक्षों में तुलसी, नीम, आंवला या बेलपत्र का एक पौधा लगाने से शुभता की प्राप्ति होती है. ऎसाकरने से ग्रह जन्य सभी दोषों का शमन हो जाता है. इस दिन लगाए गए वृक्षों के द्वारा प्रभु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. भूमि का सुख प्राप्त होता है.
सावन की सोमवती अमावस्या पर सुबह पीपल को कच्चे दूध से सींचना चाहिए और इसकी सात बार परिक्रमा करते हुए पूजा करनी चाहिए. संध्या के समय पर पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए तथा भगवान से जीवन के सभी दोषों को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए.
अमावस्या के दिन शनि देव का पूजन करने से शनि दोषों से मुक्ति की प्राप्ति होती है.
सोमवती अमावस्या के दिन शिव और चंद्र पूजन द्वारा मानसिक रोग दूर होते हैं.