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जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
कब मनाई जाएगी सोमवती अमावस्या?
इस वर्ष 13 नवंबर 2023 दिन सोमवार को अमावस्या का समय रहेगा. अमावस्या की तिथि 12 नवंबर को दोपहर 14.45 बजे से शुरू होगी और 13 नवंबर सोमवार को 14:57 तक रहेगी. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने से पुण्य मिलता है. पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
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सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
अमावस्या के संबंध में शास्त्रों में इसके महत्व के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है. सोमवती अमावस्या को आध्यात्मिक यात्रा के साथ-साथ जीवन में सुखों के लिए भी बहुत खास समय माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं. पितर अपने परिवार में तर्पण लेने की इच्छा से ही आते हैं. इस समय पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, दान आदि करना बहुत महत्वपूर्ण कार्य होते हैं. इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है.
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सोमवती अमावस्या पर होगी ग्रह शांति
ज्योतिष की दृष्टि से सोमवती अमावस्या का समय ग्रहों की शांति के लिए भी विशेष माना जाता है. इस समय ग्रहों की शांति के लिए किए गए कार्य बहुत अच्छे परिणाम देते हैं. इस कार्तिक मास की सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा को शुभता मिलती है. इस समय सुबह सूर्य की पूजा करने से कुंडली में कमजोर सूर्य को बल मिलता है. श्रीहरि की आराधना से ग्रहों की शांति होती है. नौ ग्रहों का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है.