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उत्तर रामायण की कुछ अनसुनी बातें

MyJyotish Expert Updated 27 Apr 2020 02:42 PM IST
Some unheard things from the North Ramayana
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रामायण की कहानी हिन्दू रघुवंशी मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम की गाथा है। वह वास्तव में भगवान विष्णु के अवतार थे, जिन्होंने मानव रूप में रावण नाम के असुर का वध करने के लिए जन्म लिया था। यह महागाथा वाल्मीकि ऋषि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया था। जिसके बाद अलग-अलग लेखकों द्वारा इसे अनेकों भाषाओं में लिखा गया। रामायण में सात विभिन्न भाग हैं जो कांड के रूप में जाने जाते हैं। यह गाथा दर्शाती है की किस प्रकार पिता के वचन के कारण प्रभु श्री  राम को वनवास जाना पड़ा। किस प्रकार जंगल में माता सीता का रावण द्वारा अपहरण हो जाने के बाद युद्ध हुआ और श्री राम ने अधर्म का नाशकर धर्म की स्थापना की।



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1.रामायण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए महाराज दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था। जिसके फलस्वरूप उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न की प्राप्ति हुई थी। रामायण की एक कथा के अनुसार उन्हें श्रवण कुमार के पिता ने श्राप दिया था की उनकी मृत्यु पुत्र वियोग में ही होगी। जिसके परिणाम के रूप में जब श्री राम वनवास को चले जाते हैं तब महाराज दशरथ की मृत्यु हो जाती है।

2.रावण की बहन शूर्पणखा ने ही मन ही मन रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि एक युद्ध में रावण ने शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध कर दिया था। उसी क्षण शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया था की उसका विनाश हो जाएगा और उसका कारण वह खुद होंगी।

3.मान्यताओं के अनुसार जिस दिन रावण ने माता सीता का हरण किया था। उस दिन ब्रह्मा के कहने पर इंद्रदेव देवी सीता के लिए खीर लेकर गए थे। उन्होंने पहले अशोक वाटिका में उपस्थित सभी राक्षसों को मोहित करके सुला दिया था। जिसे ग्रहण करके देवी सीता की भूख प्यास सब शांत हो गयी थी।

4.माता सीता की खोज के दौरान प्रभु राम और लक्ष्मण ने कबंध नाम के असुर का वध किया था। वास्तव में यह एक श्राप के कारण हो गया था। प्रभु ने जब उसे अग्नि देव को समर्पित किया तो वह अपने श्राप से मुक्त हो गया था। उसी ने प्रभु को सुग्रीव तक पहुंचने का मार्ग भी बताया था।

5.लम्बे समय तक श्री राम और रावण का युद्ध चलते रहने के कारण युद्ध को समाप्त करने के लिए अगस्त ऋषि ने श्री राम को आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने के लिए कहा जिसके कारण रावण का वध जल्द से जल्द हो पाया था।

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