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Home ›   Blogs Hindi ›   Skanda Sashti 2023: When is the fast of Skanda Sashti observed, know the method of worship of Lord Kartikeya

Skanda Sashti 2023 : स्कंद षष्ठी का व्रत कब रखा जाता है, जानिए भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि

Acharyaa RajRani Updated 20 Sep 2023 10:52 AM IST
Skanda Sashti
Skanda Sashti - फोटो : Myjyotish
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हर माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले स्कंद षष्ठी व्रत का बहुत महत्व माना गया है. इस दिन पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. भगवान का एक अन्य नाम स्कंद भी है इस लिए इस दिन को स्कंद षष्ठी के रुप में जाना जाता है.  स्कंद षष्ठी के दिन किया जाने वाला पूजन व्यक्ति के साहस और शौर्य में वृद्धि करता है. इसके साथ ही संतान के सुख को प्रदान करने हेतु भी यह व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है.

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हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान स्कंद को मुरुगन रुप में भी पूजा जाता है दक्षिण भारत में भगवान का यह स्वरुप बेहद विशेष है. देवताओं के सेनापति के रुप में भगवान सभी के संकटों को दूर करने वाले होते हैं,ूअपने भक्तों के कष्टों को प्रभु पलक झपकते ही दूर कर देते हैं. भक्तों को बड़ी से बड़ी मुसीबत से बाहर निकाल देने वाले देव हैं. 

स्कंद षष्ठी के दिन पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं. 
हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी तिथि के दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत और पूजन विधि-विधान से करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि इसी शुभ तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था. यही कारण है कि लोग इस तिथि पर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक मनाया जाता है. दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के रूप में पूजा जाता है. 

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स्कंद षष्ठी पूजा नियम
हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा का बहुत महत्व माना जाता है. भगवान श्रीगणेश की तरह भगवान कार्तिकेय की पूजा भी जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर कर सुख, सौभाग्य और सफलता प्रदान करती है. भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है. स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है. 

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स्कंद षष्ठी पर कैसे करें पूजा
स्कंद षष्ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान कार्तिकेय के बाल रूप की तस्वीर या मूर्ति को जल से पवित्र करके उन्हें फूल, चंदन, धूप, दीप, फल चढ़ाएं. मिठाई, वस्त्र आदि से पूजा करना सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है. 
 
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