Shravan 2023: सावन पर मिट्टी से बने शिवलिंग की करें पूजा, घर में हमेशा बनी रहेगी सुख-समृद्धि
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इस साल सावन की तृतीया एवं पंचमी पर शिव पूजन का विशेष महत्व रहने वाला है. इस तृतीया को श्रावणी तीज भी कहा जाता है और पंचमी को नाग पंचमी के रुप में जाना जाता है. भक्तों के लिए इन दिनों का विशेष महत्व है. तृतीया पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं. भगवान का पूजन एवं व्रत उपवास करते हुए जीवन की मंगलकामनाओं का आशीर्वाद पाती हैं. इस शुभ दिन पर भगवान का अभिषेक किया जाता है. महादेव के साथ देवी गौरी का पूजन होता है. इस दिन पर शिवलिंग का पूजन कई रुपों में होता
है. इसी में भगवान का मिट्टी से बना शिवलिंग पूजन करने का विशेष महत्व प्राप्त होता है.
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भगवान के अभिषेक के साथ ही घी, चीनी और आटे से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है. भोग के बाद धूप-दीप से भोलेनाथ की आरती की जाती है और यह प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी परेशानियां दूर कर देते हैं.
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पौराणिक मान्यताएं एवं शिव पूजन
सावन के माह की शुक्ल पक्ष तृतीया और पंचमी का महत्व बहुत विशेष रहा है. इसे धर्म शास्त्रों में विशेष माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावणी तीज के दिन तथा पंचमी के दिन मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान शंकर की कृपा सदैव बनी रहती है. श्रावणी तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है. इस दिन परिवार की सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति के लिए भगवान शिव और पार्वती का व्रत और पूजन किया जाता है. यह पूजा रात्रि में की जाती है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं.
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सावन के महीने में भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए शिव भक्त तरह-तरह के उपाय करते हैं इसी में से एक उपाय इस तृतीया तिथि के दिन किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर सच्ची श्रद्धा से शिव की पूजा की जाए तो भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. सावन माह में श्रावणी तीज पर शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है. इस शुभ दिन पर मिट्टी को शुद्ध करना चाहिए और उस पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करनी चाहिए. इस शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान शंकर की कृपा सदैव बनी रहती है. रात्रि में जागकर माता पार्वती और महादेव की पूजा करना.