Pitru Paksha 2023
- फोटो : my jyotish
हिंदू धर्म में पितृ कार्यों को बहुत विशेष महत्व दिया गया है. धार्मिक ग्रंथों में पितरों के लिए शांति एवं श्राद्ध से जुड़े बहुत से नियम बताए गए हैं. इन सभी में कुछ पशु पक्षियों का नाम भी विशेष रुप से लिया गया है. जो कि पितरों की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति में सहायक माने गए है. तर्पण से जुड़े काम करते समय हर कोई इन बातों का ध्यान रखता है. पितरों की शांति के लिए कुछ जीव जन्तुओं को भोजन करना बेहद ही शुभ माना गया है.
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श्राद्ध पक्ष में ये पशु पक्षी जब भोजन ग्रहण करते हैं तो माना जाता है की पितर भी शांति होते हैं. इससे जुड़े कई नियम हैं जो प्राचीन काल से ही प्रचलन में हैं. पशु पक्षियों को भोजन कराने के नियमों में से एक नियम यह है कि श्राद्ध के भोजन में से गाय, कौए और कुत्ते के लिए भोजन जरूर रखा जाता है. इनके लिए भोजन में से कुछ खाना अवश्य निकालना चाहिए. इन पशु-पक्षियों को भोजन दिए बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है. हिंदू धर्म में इन तीन पशु-पक्षियों को विशेष महत्व दिया गया है और श्राद्ध के दौरान इन्हें खिलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलने का उल्लेख भी प्राप्त होता है. आइये जानते हैं कि श्राद्ध का भोजन गाय, कौए और कुत्ते को दिया जाना क्यों है इतना खास.
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गाय का ग्रास
गाय को भोजन करना दिलाता है नदी पार करने सुख धर्म ग्रंथों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा पितृलोक में चली जाती है. बीच में वैतरणी नामक नदी है जिसे गाय की पूंछ पकड़कर पार किया जाता है. गाय ही वैतरणी नदी को पार करने में उनकी सहायक बनती है. ऎसे में श्राद्ध के भोजन का एक हिस्सा गाय को भी दिया जाता है.
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कौवे और कुत्ते का भोजन
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कौआ यम का प्रतीक और कुत्ते को यमराज का जानवर माना गया है. यह दोनो ही भोजन को ग्रहण करने हेतु विशेष हैं. इसलिए श्राद्ध का एक अंश इन्हें भी दिया जाता है. कुछ ग्रंथों में कौओं को पितरों का स्वरूप भी बताया गया है. ऐसी भी मान्यता है कि श्राद्ध का भोजन इन को खिलाने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं .