महेश नवमी पर इन मंत्रों से करें शिव पूजन सफल होंगे सभी मनोरथ
महेश नवमी का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व दो महत्वपूर्ण पर्वों के मध्य में आता है. जहां ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी पूजन होता है वहीं दशमी तिथि पर गंगा दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है इसी के मध्य महेश नवमी का पर्व भी आता है जो भगवान शिव के प्रति समर्पित पर्व है. हिंदू धर्म के मुख्य देवताओं में से एक भगवान शिव हैं, जिसे शैव संप्रदायों द्वारा सर्वोपरि भगवान के रूप में पूजा जाता है. शिव का स्वरुप विरोधाभासी भी है जहां शुभ हैं वहीं संहार कारक भी हैं. भगवान शिव संहारक और पुनर्स्थापना करने वाले हैं महान तपस्वी और कामुकता का प्रतीक, शांत एवं अत्यंत तांडवलीन भी हैं ऎसे में भगवान शिव का स्वरुप कई तरह से मिलाजुला दिखाई देता है.
शैववाद, सबसे लोकप्रिय हिंदू पंथों में से एक रहा है, यह कई धार्मिक प्रथाओं को दर्शाता है. शैवों का उद्देश्य आत्मा को बंधन से मुक्त करना और "शिव के स्वरूप" शिव तत्व को प्राप्त करना है. वे इसे योग और त्याग पर जोर देने के साथ तपस्या और तपस्या के माध्यम से प्राप्त करते हैं. भगवान शिव को मानने वाले महेश्वरी संप्रदाय द्वारा मनाया जाने वाला पर्व महेश नवमी भगवान शिव की पूजा एवं साधना का विशेष दिन रहता है.
महेश नवमी शुभ मुहूर्त समय
महेश नवमी भगवान शिव के पूजन का समय है इस समय शिव के साथ शक्ति पूजन भी होता है. भगवान शिव के साथ देवी उमा का भी पूजन होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी कहा जाता है. इस पर्व को भगवान शिव के भक्तों के साथ अन्य भक्त भी उत्साह एवं श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की विधिवत रुप से पूजा अर्चना की जाती है.
इस दिन किया जाने वाला पूजन सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है. इस बार महेश नवमी 9 जून को पड़ रही है. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 08 जून को प्रातः 08.20 से प्रारंभ होकर 9 जून को प्रातः 08.21 बजे तक रहेगा. व्रत एवं पूजन हेतु उदय तिथि के अनुसार महेश नवमी 09 जून को मनाई जाएगी. कुछ स्थानों पर यह 8 जून को भी मनाई जाएगी पंचांग गणना एवं मत अनुसार यह पर्व इस बार दो दिन व्याप्त होगा.
महेश नवमी पर करें इन मंत्रों का जाप
महेश नवमी के दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से सुख एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है. भगवान शिव के मंत्र जाप द्वारा रोग शांति एवं अकालमृत्यु का संकट भी समाप्त होता है. ऎसे में महेश नवमी के दिन किया जाने वाला मंत्र जाप विशेष रुप से शुभ फल प्रदान करने वाला होगा.
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥