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Home ›   Blogs Hindi ›   Shiv Mandir : Why does Nandi sit in the Shiva temple, why are wishes spoken in his ear?

Shiv Mandir : शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं विराजमान, इनके कान में क्यों बोली जाती हैं मनोकामनाएं?

Myjyotish Expert Updated 26 Oct 2023 02:56 PM IST
Shiv Mandir : शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं विराजमान, इनके कान में क्यों बोली जाती हैं मनोकामनाए
Shiv Mandir : शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं विराजमान, इनके कान में क्यों बोली जाती हैं मनोकामनाए - फोटो : google
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भारत के किसी भी शिव मंदिर में शिव जी के मूर्ति के ठीक सामने इनकी सवारी नंदी जी विराजमान रहते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव जी की पूजा करने के बाद नंदी जी की भी  पूजा करनी चाहिए। तभी आपकी पूजा फलित भी होगी। तात्पर्य की जितना महत्व महादेव की पूजन से होता है,उतना ही नंदी गण के दर्शन करने से पुण्य मिलता है। आइए नंदी जी से जुड़ी कुछ अनोखी बातों पर गौर करते हैं।


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पौराणिक कथा
नंदी जी की पूर्वज शिलाद मुनि के एक ब्रह्मचारी थे। जिसकी वजह से इनके वंशों का चलना मुश्किल था। लेकिन कहीं न कहीं उनको अपने पितरों को देखकर चिंता होती थी। वो गृहस्थ आश्रम में नहीं रहना चाहते थे। लेकिन शिलाद मुनि अपने पितरों के लिए इंद्र देव की कठिन तपस्या करके उनसे वरदान मांगा की जन्म और मृत्यु से हीन पुत्र की प्राप्ति हो।

शिलाद मुनि की ये बात सुनकर इंद्र देव ने कहा ये मुनि मैं ऐसा वरदान में अक्षम हूं। आप इस वरदान के लिए देवों के देव महादेव की तपस्या करिए। क्योंकि जन्म-मृत्यु से मुक्त होने का वरदान देने का अधिकार उन्हें ही प्राप्त है। 

ऋषि शिलाद की कठिन तपस्या से महादेव जी के आशीर्वाद से नंदी जी का जन्म हुआ है। कुछ दिन बाद महादेव ने शिलाद मुनि के आश्रम में अपने दो गण को शिलाद मुनि से मिलने के लिए भेजा। उन्होंने शिलाद मुनि को बता की नंदी की उम्र अल्पायु है। जब ये बात नंदी जी को पता चली तब उन्होंने वन में जाकर एकांत होकर महादेव की कठिन तपस्या शुरू कर दी।

कुछ समय बाद महादेव ने नंदी को दर्शन दिए। महादेव ने नंदी से उनकी इच्छा के बारे में पूछा  तो नंदी ने कहा कि मैं पूरी उम्र सिर्फ आपके साथ ही रहना चाहता हूं, आपसे मैं किसी भी परिस्थिति में अलग नहीं होना चाहता हूं। 

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नंदी की ऐसी बाते सुनकर महादेव ने उन्हें गले लगा लिया। और उसके बाद महादेव ने नंदी जी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपना वाहन बना लिया। सभी गणों में महादेव के सबसे प्रिय गण नंदी जी है। इसके साथ ही महादेव ने नंदी जी को अमर होने का वरदान देते हुए यह भी आशीर्वाद दिया की जहां भी मेरी प्रतिमा स्थापित होंगी उसके ठीक सामने ही नंदी महाराज का होना अनिवार्य होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ हो महादेव जी की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है। 

नंदी के कान में मनोकामना
नंदी जी प्रतिमा बहुत ही मनमोहक होती है। कथाओं से ऐसी मान्यता मिलती है की देवों के देव महादेव हर समय साधना में लीन रहते है। और उनकी साधना भंग ना हो इसके लिए नंदी जी हमेशा चैतन्य अवस्था में रहते है।

तो आप महादेव जी के मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद अंत में सच्चे मन और निश्छल भाव से अगर नंदी जी कान में अपनी मनोकामना को कहते है तो आपकी मनोकामना सीधे शिव जी के पास पहुंच जाती है। उसके बाद अपनी कामना को लेकर नंदी महाराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से आपकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।

 

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