जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
शीतला पूजन
शीतला माता को शीतलता प्रदान करने वाली देवी के रुप में पूजा जाता है. माता का पूजन करने से सभी प्रकार की बेचैनी मानसिक संताप दूर हो जाते हैं. यह व्रत संतान सुख की कामना हेतु भी किया जाता है. निसंतान दंपति को इस व्रत का लाभ जीवन में संतान के सुख की प्राप्ति से होता है. इस दिन किया गया पूजन जीवन की समस्याओं को दूर करके जीवन में धन धान्य की आपूर्ति को करने वाला है. यह व्रत भक्तों को सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला माना गया है.
शीतला माता पूजन मंत्र
शीतला माता के पूजन करने के साथ ही माता के मंत्रों का जाप करना भी बहुत शुभ दायी होता है. माता के पूजन में विभिन्न प्रकार के मंत्र जाप किए जा सकते हैं. इस दिन शीतला माता के इस मंत्र " वन्देहम् शीतलं देवी रसभस्थान दिगंबरम, मार्जनिकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकम्. का जाप करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. शीतला अष्टमी के दिन व्रती को प्रात:काल निवृत्त होकर स्वच्छ और शीतल जल से स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद व्रत हेतु मंत्र से संकल्प करना उत्तम होता है इसके लिए " मम गेहे शीतलारोगणितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुररोग्यऐश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतम करिष्ये' मंत्र को करते हुए विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
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विशेष बातों का रखें ध्यान
शीतला माता के पूजन में सदैव शीतल भोग का ही उपयोग होता है. इस व्रत में किसी भी प्रकार की गरम वस्तु का उपयोग भोग स्वरुप नहीं किया जाता है.