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Home ›   Blogs Hindi ›   Sheetala Ashtami 2023: Know when Sheetla Mata is worshiped and what are the benefits of Sheetla worship

Sheetala Ashtami 2023: जानें कब होती है शीतला माता की पूजा और क्या है शीतला पूजन लाभ

my jyotish expert Updated 12 Jun 2023 01:33 PM IST
Sheetala Ashtami 2023: जानें कब होती है शीतला माता की पूजा और क्या है शीतला पूजन लाभ
Sheetala Ashtami 2023: जानें कब होती है शीतला माता की पूजा और क्या है शीतला पूजन लाभ - फोटो : google
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माता शीतला पूजन सप्तमी और अष्टमी तिथि पर होता है, शीतला मात अको सप्तमी एवं अष्टमी तिथियों पर विशेष रुप से किया जाता है. यह व्रत बेहद महत्वपुर्ण व्रतों में से एक है. इस दिन भक्त माता क अपूजन करके जीवन में सुख समृद्धि का सुख पाते हैं. माता का पूजन करने से संतान के सुख की प्राप्ति है तथा संतान के स्वास्थ्य का उत्तम सुख भी प्राप्त होता है. धार्मिक ग्रंथों में शीतला सप्तमी एवं अष्टमी के व्रत का बहुत महत्व माना गया है. शीतला  माता का पूजन जहां भी होता है वहां किसी प्रकार रोग दोष उत्पन्न नहीं होते हैं. पूरे विधि-विधान से शीतला माता की पूजा करने से हमेशा सुख-शांति और धन-संपत्ति बनी रहती है. शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करना चाहिए. आइए जानते हैं शीतला माता की पूजा कब की जाती है और इस पूजा के क्या हैं लाभ: -

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शीतला पूजन 
शीतला माता को शीतलता प्रदान करने वाली देवी के रुप में पूजा जाता है. माता का पूजन करने से सभी प्रकार की बेचैनी मानसिक संताप दूर हो जाते हैं. यह व्रत संतान सुख की कामना हेतु भी किया जाता है. निसंतान दंपति को इस व्रत का लाभ जीवन में संतान के सुख की प्राप्ति से होता है. इस दिन किया गया पूजन जीवन की समस्याओं को दूर करके जीवन में धन धान्य की आपूर्ति को करने वाला है. यह व्रत भक्तों को सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला माना गया है.

शीतला माता पूजन मंत्र 
शीतला माता के पूजन करने के साथ ही माता के मंत्रों का जाप करना भी बहुत शुभ दायी होता है. माता के पूजन में विभिन्न प्रकार के मंत्र जाप किए जा सकते हैं. इस दिन शीतला माता के इस मंत्र " वन्देहम् शीतलं देवी रसभस्थान दिगंबरम, मार्जनिकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकम्. का जाप करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.  शीतला अष्टमी के दिन व्रती को प्रात:काल निवृत्त होकर स्वच्छ और शीतल जल से स्नान करना चाहिए.  स्नान करने के बाद व्रत हेतु मंत्र से संकल्प करना उत्तम होता है इसके लिए " मम गेहे शीतलारोगणितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुररोग्यऐश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतम करिष्ये' मंत्र को करते हुए विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. 

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विशेष बातों का रखें ध्यान 
शीतला माता के पूजन में सदैव शीतल भोग का ही उपयोग होता है. इस व्रत में किसी भी प्रकार की गरम वस्तु का उपयोग भोग स्वरुप नहीं किया जाता है.

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