वर्ष में चार बार नवरात्रि का आगमन होता हैं। बड़ी नवरात्रि चैंत्र मैं तथा आषाढ़ और अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है जिसे आम भाषा में छोटी नवरात्रि भी कहा जाता है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि ओं को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इन दोनों नवरात्रों में तंत्र की साधना होती है।शारदीय नवरात्रि अश्विनम माह से शुरू होती है। वर्ष 2021में 6,अक्टूबर को अमावस्या के बाद 7 अक्टूबर को प्रारंभ होगा,तथा यह 15 अक्टूबर तक चलेगा। तथा माना जाता है, की अगर नवरात्रि का पर्व गुरुवार को शुरू होता है, तो उस दिन माता डोली पर आकर घरों में विराजमान करती है।
इन दिनों लोगों में खास उत्साह और अलग प्रकार की श्रद्धा होती है जगह-जगह दीपक डगमगा रहे होते और जगह-जगह मेलों का भी आयोजन किया जाता है। तथा इस पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। इन इन 9 दिनों देवियों की अलग-अलग प्रतिमाओं की आराधना की जाती है तथा भक्तगण पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक माता की आराधना करते हैं, इससे माता प्रसन्न होकर भक्तों की सारी मनोकामना को पूर्ण करती है। जाने कैसे करें माता की आराधना और विधि औऱ शुभ मुहूर्त
अगर नवरात्रि का पर्व सोमवार या रविवार शुर होती है ,तो माना जाता के माता हाथी पर सवार होकर घरों में आती है और अगर पर्व मंगलवार और बुधवार को होता है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती है तथा और माता गुरुवार और शुक्रवार को आती है ,तो माता डोली पर विराजमान करती हैं। तथा इस बार पर्व गुरुवार को शुरू हो रहा है तथा माता डोली पर बैठकर घरों में विराजमान करेगी। तथा नवरात्रि के पहले दिन माता की प्रतिमा को जगह-जगह स्थापित किया जाता है। तथा पंडाल लगाए जाते हैं औऱशारदीय नवरात्रि होने वाली है, परिवार प्रारंभ जाने कैसे करें मां दुर्गा को प्रसन्न? जानिए पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
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दिनों के अनुसार मां कैसे विराजमान करती है
वर्ष में चार बार नवरात्रि का आगमन होता हैं। बड़ी नवरात्रि चैंत्र मैं तथा आषाढ़ और अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है जिसे आम भाषा में छोटी नवरात्रि भी कहा जाता है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि ओं को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इन दोनों नवरात्रों में तंत्र की साधना होती है।शारदीय नवरात्रि अश्विनम माह से शुरू होती है। वर्ष 2021में 6,अक्टूबर को अमावस्या के बाद 7 अक्टूबर को प्रारंभ होगा,तथा यह 15 अक्टूबर तक चलेगा। तथा माना जाता है, की अगर नवरात्रि का पर्व गुरुवार को शुरू होता है, तो उस दिन माता डोली पर आकर घरों में विराजमान करती है।
इन दिनों लोगों में खास उत्साह और अलग प्रकार की श्रद्धा होती है जगह-जगह दीपक डगमगा रहे होते और जगह-जगह मेलों का भी आयोजन किया जाता है। तथा इस पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। इन इन 9 दिनों देवियों की अलग-अलग प्रतिमाओं की आराधना की जाती है तथा भक्तगण पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक माता की आराधना करते हैं, इससे माता प्रसन्न होकर भक्तों की सारी मनोकामना को पूर्ण करती है। जाने कैसे करें माता की आराधना और विधि औऱ शुभ मुहूर्त
अगर नवरात्रि का पर्व सोमवार या रविवार शुर होती है ,तो माना जाता के माता हाथी पर सवार होकर घरों में आती है और अगर पर्व मंगलवार और बुधवार को होता है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती है तथा और माता गुरुवार और शुक्रवार को आती है ,तो माता डोली पर विराजमान करती हैं। तथा इस बार पर्व गुरुवार को शुरू हो रहा है तथा माता डोली पर बैठकर घरों में विराजमान करेगी। तथा नवरात्रि के पहले दिन माता की प्रतिमा को जगह-जगह स्थापित किया जाता है। तथा पंडाल लगाए जाते हैं औऱमाता की प्रतिमा को पूरे श्रृंगार से सजाया जाता हो ऐसा लगता है माता संजीव रूप में धरती में विराजमान हो गई हो 9 दिन तक उनकी आरती तथा दीपक जलाए जाते हैं। तथा आखिरी दिन में माता की मूर्ति को पूरी विधि, विधान औऱ नाच गाने के साथ विसर्जन किया जाता है।
नवरात्रि के पर्व पर शुभ मुहूर्त
साल 2021 मे शारदीय नवरात्रि का पर्व 7 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होगा तथा 15 अक्टूबर तक चलेगा।
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 6 अक्टूबर सायंकाल लगभग 4:00
तथा प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी- 7 अक्टूबर सायंकाल 1:45 बजे तक
तथा कलश स्थापना का -7 अक्टूबर सुबह 6:15 से लगभग 7:00 बजे तक
औऱ अंतिम दिन -15 अक्टूबर को माता का विसर्जन किया जाएगा।
माता को प्रसन्न करने की विधि
प्रात काल सुबह उठे घर को साफ सुथरा कर ले स्नान करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़ककर घर को शुद्ध कर ले ,और पूरे 9 दिनों तक माता की आराधना करें।
आराधना करते समय माता के मंत्रों का उच्चारण करें जिससे माता जल्दी प्रसन्न होगी और आपकी सभी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
तथा घर में अखंड दीपक जलाएं जो 9 दिनों दीपक प्रकाशित रहना चाहिए।
तथा घर में कलश की स्थापना करे और नवरात्रि के प्रथम दिन से ही ,यह पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखना चाहिए।।
कलश स्थापित करने की विधि
इन 9 दिनों में माता के नौ रूपो की पूरी श्रद्धा के साथ माता की आराधना करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है माना जाता है इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। सर्वप्रथम पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर घट की स्थापना करने के लिए सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तन में धान वौ ,ले उसमें जल से भरा कलश रख दें कलर्स के ऊपरी भाग में कलावा बाँधकर मिट्टी के पात्र में रख दें कलश के ऊपरी भाग में अशोक व आम के पत्तों को रखें कलश में सिक्का दूध डाल दें बाद में एक लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित कर दें
घट स्थापना के बाद समस्त देवी देवताओं का आवाहन करें।
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