Sharad Purnima
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आध्यात्म एवं विज्ञान जब साथ में जुड़ जाते हैं तो इनका खास प्रभाव देखने को मिलता है. यही बात हम शरद माह के समय पर पूर्णिमा के दौरान देखते हैं. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही विशेष माना गया है इसके पीछे इसका स्वास्थ्य वर्धक होना तथा सकारात्मकता देना मुख्य कारण है. आश्विन माह की यह पूर्णिमा तिथि आयुर्वेद में भी महत्व रखती है.
रद पूर्णिमा के दिन पर हर ओर का माहौल शुभ होता है. इस दिन लोग खुले आसमान के नीचे खीर रखकर उसे प्रसाद के रूप में उपयोग करते हैं. माना जाता है कि ऎसा करने से जीवन के सभी रोग दूर हो जाते हैं. इसी के साथ इस खीर से शक्ति भी बढ़ती है. आइये जानते हैं इस खीर का औषधी लाभ और इसके दूरगामी परिणाम.
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शरद पूर्णिमा है अमृत समय
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को अमृत समय माना गया है. इसका धार्मिक रुप से विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा का शुभ फल मिलता है ओर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं. इस दिन दोनों ही रुप में भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है. ऎसे में यह विज्ञान के आधार पर भी महत्वपुर्ण समय होता है.
इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन में अगर चंद्रोदय के समय खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रख दी जाए तो वह गुणों से भरपुर होती है. इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में इसका सेवन करते हैं तो पुराने से पुराने रोग भी दूर हो जाते हैं. यह मानसिक प्रसन्नता देती है. व्यक्ति खुश भी रहते हैं.
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शरद पूर्णिमा खीर का महत्व
ज्योतिष में चंद्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है. इस दिन और इस समय पर पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है. अब इस समय पर व्यक्ति जब इस रोशनी को पाता है तो गुण उसके भीतर भी भर जाते हैं.
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मान्यता है कि जो लोग शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे खीर रखते हैं और अगले दिन उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, उनके पुराने से पुराने रोग भी दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं इस खीर का प्रसाद खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता दोगुनी हो जाती है.