Shaniwar Ke Upay: इस शनिवार कालाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के साथ बन रहे हैं दुर्लभ योग, अभी नोट कर
- फोटो : google
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित दिन माना जाता है, ऎसे में जिन भी लोगों के जीवन में शनि की खराब दशा या ढैय्या का प्रभाव पड़ रहा हो तो उन लोगों के लिए इस बार का शनिवर बहुत ही लाभदायक रहने वाला है. इस शनिवार के दिन कुछ विशेष संयोग बनने से शनिदेव के आशीर्वाद की तो प्राप्ति होगी ही साथ ही शनि के दोष भी समाप्त होंगे. इस शनिवार के दिन कालाष्टमी का पर्व होगा इस दिन मासिक जन्माष्टमी का पर्व होगा और साथ ही इस दिन पंचक की स्थिति भी बनी रहने वाली है. तो इस स्थिति के चलते यदि शनिवर के दिन कुछ खा सुपायों को कर लिय अजाए तो एक साथ कई गुना लाभ भक्तों को मिल सकता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
शनिदेव के साथ मिलेगा भैरव बाबा का आशीर्वाद
शनिवार के दिन जब कालाष्टमी का पर्व पड़ता है तो वह दिन कई मायनों में लाभ देने वाला होता है. इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा अर्चना करने के साथ साथ भैरव की पूजा करता है उसके लिए सफलता के सभी दरवाजे खुल जाते हैं. बाबा भैरव को भगवान शिव का रुप माना गया है और शनि देव को भगवान शिव ने न्याय का देवता बनाया है. अब ऎसे में इन कारणों से इस दिन की महत्ता कई गुना बढ़ जाने वाली है. आज के दिन पंचकों का समय भी होगा, अत: भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा का भी उन्हें पांच गुना फल मिलेगा. जो कोई भी भक्त इस दिन पूजा करता है. उसके जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं. शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है और कालभैरव भी काशी के कोतवाल हैं अत: इन दोनों का पूजन एक साथ करके सभी सुख पाए जा सकते हैं.
नही रहेगा शनि ढैय्या का डर
शनि देव की ढैय्या बहुत ही कठोर समय माना गया है. शनि देव सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और उसी के अनुसार लोगों को उसका फल देते हैं. ऎसे में हमारे पापों से मुक्ति एवं कर्मों की शुद्धि के लिए शनिवार के दिन पूजन अत्यंत ही लाभदारी होगी. शनिदेव को प्रसन्न करना बेहद कठिन होता है लेकिन आज के दिन इन्हें प्रसन्न करना अत्यंत सहज भी बन जाता है. शनिवार के दिन किए जाने वाले कुछ उपायों से करने से आपके जीवन के सभी संकट दूर हो जाएंगे.
मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों का हल
इस शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करके उसके पत्तों की माला बनाएं, और उस माला को भगवान हनुमान जी को अर्पित करें. ऎसा करने से शनि ढैय्या का भय समाप्त होगा.