कालभैरव जयंती पर दिल्ली में कराएं पूजन एवं प्रसाद अर्पण, बनेगी बिगड़ी बात -05 दिसंबर 2023
धर्म कथाओं के अनुसार शनि शिव तथा भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं. इसलिए भगवान शिव की पूजा एवं श्री कृष्ण पूजन से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़े साती अथवा शनि दशा बहुत कष्टकारी होती है. जिसका सामना हर व्यक्ति को अपने जीवन में कभी न कभी करना पड़ता है. शनि असर के दौरान व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं. बनते काम बिगड़ने लगते हैं और तरक्की मिलने में देरी होती है. लेकिन शनि के शुभ होने पर इससे उलट जीवन बदल भी सकता है. शनिदेव न सिर्फ कर्मों का फल देते हैं अपित शुभ कर्मों के द्वारा जीवन को उत्तम फल प्रदान करते हैं. शनि के शुभ होने पर व्यक्ति रंक से राजा बन सकता है.
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शनि शांति के उपाय
शनि हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. सभी ग्रहों में इनकी गति बहुत धीमी मानी जाती है. शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित जातकों के लिए समय काफी कठिन रहने वाला होता है. इस दौरान शनि को अनुकूल बनाने के लिए कुछ उपाय करने विशेष परिणाम दिलाते हैं.
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ज्योतिष अनुसार शनि ग्रह दोष से मुक्ति पाने के लिए जिस दिन अनुराधा नक्षत्र हो उस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना विशेष होता है.
शनि की शांति के लिए अमावस्या के दिन दान करना शुभ होता है.
शनि शांति के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की तेल और तिल से विधिपूर्वक पूजा करने से शनि शांति संभव होती है.
शनि शांति के लिए शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है.
भगवान शिव की पूजा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा एवं जलाभिषेक करना शुभदायक होता है.
पीपल के वृक्ष को अर्घ्य देने तथा इसका पूजन करने से शनि का अशुभ प्रभाव समाप्त होता है.
शनि शांति हेतु हनुमान जी की पूजा शुभदायी मानी गई है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है