Shakambhari Utsav
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देवी के अनेक रुप भक्तों के दुख दर्द दूर करने हेतु होते ही रहे हैं इन्हीं में से एक रुप देवी शांकभरी का भी रहा है. शाकंभरी देवी मां दुर्गा का सौम्य अवतार भी माना गया हैं. इस अवतार के द्वारा देवी ने सभी को सुख प्रदान किया है. शिव महापुराण और महाभारत में भी देवी का वर्णन प्राप्त होता है. मां शाकंभरी को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. इन्हें भ्रामरी, शताक्षी के नाम से भी जाना जाता है. माता शाकंभरी ने जब अपन अयह स्वरुप लिया तो इस रुप के द्वारा भक्तों का उद्धार संभव होता है. क्षुद्धा शांत होती है तथा जीवन को नए रंग प्राप्त होते हैं.
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माता का पूजन आश्विन माह में किया जाता है. इस समय पर माता के भजन एवं हवन इत्यादि धार्मिक कार्यों को भक्त शृद्धा विश्वास के साथ करते हैं. माता का पूजन सुखों को प्रदान करता है तथा सभी प्रकार की सुख समृद्धि देने वाला माना गया है.
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देवी शाकंभरी पूजन कथा
शाकुंभरी देवी कथा के विषय में कई ग्रंथों में विस्तार पूर्वक लेख प्राप्त होते हैं. इन में से एक वर्णन दुर्गा सप्तशति में भी मिलता है. शाकुंभरी देवी मां दुर्गा का कोमल शुभ अवतार हैं. कई संप्रदायों के लोग भी माता की भक्ति पूजा करते हैं. राजस्थान और उत्तर प्रदेश में देवी को लोकदेवी के नाम से भी जाना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शाकंभरी से जुड़ी कई कहानियां हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार दुर्गम नामक राक्षस ने पृथ्वी पर उत्पात मचा रखा था तब माता ने अपना रुप विस्तार करके राक्षस का वध कर दिया. जीवन सुरक्षित हुआ ओर लोगों में से भय की समाप्ति होती है.
Durga Sahasranam Path Online
देवी के प्रताप से उत्पन्न होती हैं वनस्पतियां
देवी शाकंभरी जी का अवतरण भोजन की व्याकुलता को शांत करने वाला भी है. इस में एक कथा के अनुसार एक समय पृथ्वी पर अन्न और जल का अकाल पड़ गया. तब उस अकाल से सभी ओर कष्ट उत्पन्न होने लगा. काफी समय तक बारिश नहीं हुई, जिसके कारण पेड़-पौधे सूखने लगे. इस समस्या को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने शाकंभरी देवी का अवतार लिया और लोगों की सभी परेशानियां दूर की. उनके द्वारा अनेक वनस्पतियां उत्पन्न होती हैं जिनका सेवन करके लोग अपनी भूख को शांत करते हैं तथा जीवन को पाते हैं.