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Shakambhari Jayanti 2024: जानें कब है शाकंभरी जयंती माता के पूजन से भरे रहते हैं भक्तों के भंडार

Acharya Rajrani Sharma Updated 24 Jan 2024 10:02 AM IST
Shakambhari Jayanti
Shakambhari Jayanti - फोटो : google

खास बातें

Shakambhari Jayanti 2024: जानें कब है शाकंभरी जयंती माता के पूजन से भरे रहते हैं भक्तों के भंडार 

Shakambhari Purnima 2024:  इस वर्ष 25 जनवरी 2024 के दिन शाकंभरी पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा. देवी शाकंभरी के पूजन से भक्तों को मिलता है धन धान्य का वरदान और भरे रहते हैं अन्न के भंडार
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Shakambhari Jayanti 2024: जानें कब है शाकंभरी जयंती माता के पूजन से भरे रहते हैं भक्तों के भंडार 

Shakambhari Purnima 2024:  इस वर्ष 25 जनवरी 2024 के दिन शाकंभरी पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा. देवी शाकंभरी के पूजन से भक्तों को मिलता है धन धान्य का वरदान और भरे रहते हैं अन्न के भंडार

Shakambhari Navratri 2024: शाकंभरी माता को दुर्गा की शक्तियों का स्वरुप माना गया है. माता का यह रुप प्रक्रति के पोषण का रुप  है. देवी शाकंभरी जयंती के समय को शाकंभरी नवरात्रि के रुप में भी पूजा जाता है. 
 
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देवी शाकंभरी पूजा महत्व Shakambhari Puja 

पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि प्रारंभ होती है. इसका समापन पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होता है. इस दिन को शाकम्भरी जयंती के नाम से जाना जाता है. आज शाकंभरी जयंती मनाई जा रही है. इसी तिथि पर मां दुर्गा ने समस्त जगत के कल्याण हेतु मां शाकंभरी का अवतार लिया था. तो आइए जानते हैं कि इस दिन मां दुर्गा के इस स्वरूप का पूजन करने से भक्तों को कैसे मिलता है देवी का आशीर्वाद 

दुर्गा सप्तशति अनुसार पौष माह में आने वाली पूर्णिमा मां शाकंभरी जयंती एवं पूर्णिमा रुप में मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शांकभरी आदिशक्ति दुर्गा के कई अवतारों में से एक हैं.  मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में मां शाकंभरी का रंग नील बताया गया है. माता की आंखें नीले कमल के समान हैं और वह कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं. मां की एक मुट्ठी में कमल का फूल और दूसरी मुट्ठी में तीर बताया गया है. जानिए पौष माह में किस दिन से शुरू हो रही है शाकंभरी नवरात्रि.
 

माता शाकंभरी पूजा विधान   

शाकंभरी पूजा में सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण किए जाते हैं. पूजा के लिए सामग्री एकत्र की जाती है. पूजा सामग्री में मिश्री, सूखे मेवे, पूड़ी, हलवा और सब्जियां आदि शामिल हैं. माता की मूर्ति को लाल कपड़े से ढके एक आसन पर रखा जाता है. इसके बाद मां पर गंगा जल छिड़क कर पूजा की जाती है. पूजा के बाद आरती की जाती है और माता के मंत्रों का जाप किया जाता है. शाकंभरी पूर्णिमा के दिन माता के मंत्र जाप करने से भक्तों को सिद्धियों का सुख प्राप्त होता है. 

देवी शांकभरी माता आरती से पूर्ण होती है पूजा 

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शाकंभरी माता की आरती

जय जय शाकंभरी माता ब्रह्मा विष्णु शिव दाता
हम सब उतारे तेरी आरती मैया हम सब उतारे तेरी आरती

संकट मोचनी जय शाकंभरी तेरा नाम सुना है
मैया राजा ऋषियों पर जाता मेधा ऋषि भजे सुमाता
हम सब उतारे तेरी आरती

मांग सिंदूर विराजत मैया टीका सूब सजे है
सुंदर रूप भवन में लागे घंटा खूब बजे है
मैया जहां भूमंडल जाता जय जय शाकम्भरी माता
हम सब उतारे तेरी आरती

क्रोधित होकर चली मात जब शुंभ- निशुंभ को मारा
महिषासुर की बांह पकड़ कर धरती पर दे मारा
मैया मारकंडे विजय बताता पुष्पा ब्रह्मा बरसाता
हम सब उतारे तेरी आरती

चौसठ योगिनी मंगल गाने भैरव नाच दिखावे.
भीमा भ्रामरी और शताक्षी तांडव नाच सिखावें
री मैया रत्नों का हार मंगाता दुर्गे तेरी भेंट चढ़ाता
हम सब उतारे तेरी आरती

कोई भक्त कहीं ब्रह्माणी कोई कहे रुद्राणी
तीन लोक से सुना री मैया कहते कमला रानी
मैया दुर्गे में आज मानता तेरा ही पुत्र कहाता हम सब उतारे तेरी आरती

सुंदर चोले भक्त पहनावे गले मे सोरण माला
शाकंभरी कोई दुर्गे कहता कोई कहता ज्वाला
मैया मां से बच्चे का नाता ना ही कपूत निभाता
हम सब उतारे तेरी आरती

पांच कोस की खोल तुम्हारी शिवालिक की घाटी
बसी सहारनपुर मे मैय्या धन्य कर दी माटी
री मैय्या जंगल मे मंगल करती सबके भंडारे भरती
हम सब उतारे तेरी आरती

शाकंभरी मैया की आरती जो भी प्रेम से गावें
सुख संतति मिलती उसको नाना फल भी पावे
मैया जो जो तेरी सेवा करता लक्ष्मी से पूरा भरता हम सब उतारे तेरी आरती ||
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