1. हम सभी को विभिन्न प्रकार के सपने आते हैं और ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये अकसर हमें हमारे भूत, भविष्य और वर्तमान से जुड़ी चीज़ें बताते हैं। इसी प्रकार से और भी कई सारे तर्क दिए जाते हैं। विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो भी इसपर कई शोध किए गए हैं और कई तर्क प्रस्तुत किए गए हैं। हालांकि किसी भी एक निष्कर्ष पर आना कठिन है मगर मनोविज्ञान के हिसाब से इसका एक संतुष्टी भरा तर्क बताया गया है तो आइए जानते हैं क्या है हमारे सपनों का आधार।
2. मनोविज्ञान के अनुसार मनुष्य के में को चार प्रकार से विभाजित किया गया है। प्रत्येक विभाजन में हमारे मन की अवस्था भिन्न होती है। पहले विभाजन को हम चेतन मन के नाम से संबोधित करते हैं और ये हमारे जाग्रत अवस्था में हमारे 5 इन्द्रियों के संचालन का काम करता है। हमारे सोने के बाद इस संचालन की ज़िम्मेदारी हमारे अवचेतन मन के पास चली जाती है।
3. हमारा अवचेतन मन हमारे सोने के समय हमारे दिन भर के किए गए सारे काम को हमारे मन के तीसरे विभाजन यानी हमारे ब्रह्मांडीय मन में संचित करता है। हमारा ब्रह्मांडीय मन इन कार्यों को हमारे दिमाग में सुरक्षित करके रख देता है जिसकी वजह से हमें उठने के बाद भी ये चीजें याद रख पाते हैं।
4. ये कार्य प्रत्येक दिन प्रत्येक लोक पर होता है। क्योंकि प्रत्येक लोक के अवचेतन मन एक ही वक़्त पर अपने कामों को संचित करते हैं तो इसलिए हमारा मन एक ही वक़्त पर ब्रह्मांड में दूसरे लोकों के कार्यों को भी देखता रहता है। हमारे मन को यही चीज़ें सोते वक़्त स्वप्न के रूप में दिखाई देती है। यही कारण है कि हमें स्वप्न में दूसरे लोकों की चीज़ें नज़र आती है।
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5. नींद से जागते ही हमारा चेतन मन जागृत हो जाता है और अवचेतन मन की चीज़ें हमें याद नहीं रहती। इसलिए हम अकसर अपने सपनों को जागने के बाद भूल जाते हैं। प्रातः 4 बजे से 5 बजे के बीच आने वाले स्वप्न पृथ्वी लोक के होते हैं। इस समय हमारा अवचेतन मन काफ़ी गहन अवस्था में रहता है और इस दौरान हमें जो कुछ भी दिखता है वो चीज़ें हमारे मन में स्थानांतरित हो जाती हैं।
6. ये सपने अकसर सच हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अवचेतन मन जब सुबह के वक्त पृथ्वी लोक पर आता है तो रात भर के चीज़ों को हमारे चेतन मन में स्थानांतरित कर देता है। अवचेतन मन सुबह के समय जो घटनाएं देखता है वही चीज़ें फिर दिनभर हमारे साथ होती है। पृथ्वी लोक की घटनाएं पहले से ही तय होती हैं इसलिए आप इस समय जो भी देखते हैं वो चीज़ें होती ही हैं।
7. हामरा मन और हमारे सपने दोनों ही प्रकृति से जुड़े होते हैं। हमारा शरीर भी इसी प्रकृति से बना है इसलिए प्रकृति के अनुसार जो भी घटनाएं निश्चित की गई हैं हमें स्वप्न में वही चीज़ें दिखती हैं। कहते हैं महाभारत के युग में युद्ध से पूर्व माता गांधारी ने अपने स्वप्न में अपने पुत्रों का विध्वंश होते हुए देखा था।
8. अगर व्यक्ति इस विषय पर ध्यान से विचार करे तो उसके स्वप्न उसे उसके जीवन के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं। इसके साथ ही हम दूसरे लोकों कि घटनाओं से भी अवगत हो सकते हैं। हमारे मन के चौथे विभाजन को सामूहिक मन कहकर संबोधित करते हैं। हमारा ये मन समाधि के वक़्त जागृत होता है। इस समय भी हमें स्वप्न आते हैं मगर ये स्वप्न शत-प्रतिशत सत्य होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये स्वप्न सत्य घटनाओं पर आधारित होते हैं। ये हमें भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों दिखाते हैं।
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