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व्रत के प्रभाव से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं. सावन में प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है. हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी तिथि के दिन इस व्रत को किया जाता है. प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है.
सूर्यास्त के बाद और रात्रि प्रारम्भ होने से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं.
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प्रदोष व्रत का शुभ समय
पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को शाम 07:17 बजे शुरू होगी और 15 जुलाई को रात 08:32 बजे समाप्त होगी. भगवान शिव की पूजा के लिए प्रदोष काल बहुत ही उत्तम काल माना गया है. शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर इसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा. प्रदोष व्रत 14 जुलाई को ही मनाया जाएगा. इस दिन शिव पूजा का समय रात्रि 07 बजकर 21 मिनट से 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
सावन में आने वाले प्रदोष व्रत की महिमा और भी बढ़ जाती है. सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी को भगवान शंकर की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है.
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प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी दोषों को दूर कर देते हैं. प्रदोष व्रत के दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है. इसके लिए सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान कर लेना चाहिए और फिर साफ कपड़े धारण करने चाहिए. पूजा करनी चाहिए तथा शाम के स्नान के बाद शाम को शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करनी चाहिए. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. अब शिवलिंग पर सफेद चंदन लगाएं और बेलपत्र, मदार, फूल, भांग चढ़ाएं और विधिपूर्वक पूजा और आरती करनी चाहिए.