Labh Panchami
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सौभाग्य पंचमी को विशेष महत्व दिया गया है. इसे सौभाग्य पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन माता पर्वत और भगवान शिव की पूजा की जाती है. सौभाग्य पंचमी कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. सौभाग्य पंचमी को जया अथवा ज्ञान पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है. यह दिन बहुत ही अधिक लाभ प्रदान करने वाला होता है.
इस दिन किसी भी प्रकार की शिक्षा अर्जित करना ज्ञान को पाना अत्यंत ही शुभ होता है. इस दिन गुरुजनों के द्वारा प्राप्त ज्ञान एवं साधना को ग्रहण करने के साथ लोगों तक पहुंचाना विशेष प्रभाव देता है. इस दिन पर भगवान का पूजन व्रत करना बहुत ही अच्छे परिणाम दिलाने में सहायक बनता है. जैन धर्म के मानने वालों के लिए यह दिन ज्ञान पंचमी का समय होता है.
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सौभाग्य पंचमी की पूजा विधि
सौभाग्य पंचमी के दिन का आरंभ भगवान के नाम स्मरण से होता है. ऐसे में इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले प्रभु का स्मरण करना चाहिए. श्री विष्णु भगवान शिव का स्मरण करने के बाद पूजा स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती और श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान और पूजन करना चाहिए. फिर एक-एक करके सभी देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए.
समस्त देवी-देवताओं को चंदन, रोली, अक्षत, दूर्वा और दीपक आदि चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करना तथा अराधना करनी चाहिए. भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और भगवान शिव की आरती करनी चाहिए तथा भगवान को भोग लगाना चाहिए. इसके बाद प्रसाद बांटकर पूजा का समापन करना शुभदायी होता है.
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सौभाग्य पंचमी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौभाग्य पंचमी का दिन कोई भी नया काम शुरू करने के लिए शुभ होता है. जीवन में वैसे कई तरह की शुरुआत के लिए भी यह दिन शुभ है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन कोई भी नया व्यवसाय शुरू किया जा सकता है. सौभाग्य पंचमी का त्यौहार गुजरात में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
मान्यता के अनुसार इस दिन व्यापारी नए हिसाब-किताब की शुरुआत करते हैं. साथ ही बही-खाते पर रोली-चंदन से सौभाग्य भी लिखा होता है. इसी के साथ इस दिन पर अपने गुरु जनों का आशीर्वाद भी लिया जाता है. जैन संप्रदाय द्वारा इस दिन को ज्ञान पंचमी के रुप में मनाया जाता है.