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भाद्रपद संक्रांति कब मनाई जाती है और इसका महत्व
सौर गणना के अनुसार जब सूर्य कर्क से निकल कर सिंह में प्रवेश पाता है तो उसे भाद्रपद संक्रांति का त्योहार कहा जाता है. इस दिन सूर्यदेव सिंह राशि में प्रवेश करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद संक्रांति का पुण्य काल दान स्नान के लिए विशेष माना जाता है. इस समय पर सूर्य की गति अब अपनी राशि को पाति है. यहां आने पर सूर्य के प्रभाव में वृद्धि होती है. इस के प्रभाव से जिनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति शुभ होती है उन्हें कई तरह के सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देते हैं. यह एक माह का समय होता है जब सूर्य अपनी स्वराशि में प्रबल स्थिति में होता है.
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भाद्रपद संक्रांति का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना विशेष पुण्यदायी माना जाता है. इस दिन नारियल के पानी और दूध से भगवान विष्णु और भगवान नरसिम्हा का अभिषेक करने का भी विधान भी माना गया है. भाद्रपद संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान आदि करने से पुण्य फल मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से जहां एक व्यक्ति को सूर्य के शुभ फल प्राप्त होते हैं. किस्मत भी चमकती है.
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इस दिन भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता का वरदान मिलता है. भाद्रपद संक्रांति के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान नरसिम्हा अपने प्रतिद्वंद्वी पर हमेशा विजय पाने का आशीर्वाद देते हैं.