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साईं बाबा का रेकी प्रतीक विचार
साईं बाबा रेकी के संदर्भ में कई लोगों का नाम आता है. इन सभी के अनुभव इस रेकी से संबंध बनाते हैं. जब कुछ रेकी विचारक भारत की यात्रा करते हैं तो उन्हें साईं बाबा के अनुभव होते हैं. इसमें एक जब मार्सी भारत से लौटीं, तो उनकी मुलाकात होल लाइफ एक्सपो में कैथलीन से हुई. उन्होंने घोषणा की कि ध्यान में, साईं बाबा ने उन्हें बताया था कि कुछ प्रतीक और आधे से अधिक दीक्षा प्रक्रिया अभी करनी बाकी है. कैथलीन ने कहा कि सत्य साईं बाबा ने उन्हें फिर से दर्शन दिए, और उन्हें आगे बढ़ाने तथा बेहतर रुप में स्थापित करने का निर्देश दिया. कैथलीन ने अपने कुछ इच्छुक छात्रों को इस ऊर्जा में फिर से शामिल करने का फैसला किया.
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इसके अलावा विलियम रैंड एक विशेष रेकी प्रशिक्षक थे जो साईं बाबा रेकी के भविष्य के पथ को प्रभावित करते हैं. विलियम रैंड कहते हैं कि उन्होंने अपने रेकी अभ्यास में अन्य प्रतीकों का प्रयोग करना और उन्हें शामिल करना शुरू कर दिया था. साईं बाबा प्रतीकों और अनुकूलन प्रक्रियाओं से अवगत होने पर साईं बाबा के शिक्षक और चीगोंग मास्टर ग्लेन डेरिक ने विलियम रैंड के साथ काम करना शुरू किया. कई अन्य रेकी मास्टर्स, अपने अभ्यास को उसुई रेकी से अलग करना चाहते थे और उन्होंने इस बदली हुई प्रणाली को साईं बाबा रेकी नाम से सिखाने का फैसला किया जिसका कुछ स्रोतों से पता चलता है.
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साईं रेकी का प्रभाव कई लोगों पर रहा है और इसमें नई तकनीकों द्वारा रेकी को उपयोग में लाया जाता रहा है. किंतु रेकी की यह विद्या जीवन में आध्यात्मिक जागरण एवं जीवन को आण्दमय करने का एक विशेष साधन बनी है.