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इन सभी का उपयोग जीवन में किसी न किसी रुप में अपना प्रभाव दिखाता है. इन रुद्राक्ष का संबंध ग्रह एवं विभिन्न देवी-देवताओं से माना जाता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रुद्राक्ष पहनने के भी कुछ नियम होते हैं. आप इसे हर समय नहीं पहन सकते और इसे धारण करने के बाद कुछ बातों का विशेष रुप से ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
रुद्राक्ष का धार्मिक स्वरुप
रुद्राक्ष को बेहद शुभ रुप में जाना जाता है. इसे जीवन की हर समस्या से मुक्ति पाने हेतु धारण करने की सलाह दी जाती रहती है. हिमालय और नेपाल के तराई क्षेत्र में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के फल के बीज हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार इसका संबंध भगवान शिव से है. शिवपुराण के अनुसार, जब कई वर्षों तक तपस्या में लीन भगवान शिव ने अचानक किसी कारण से अपनी आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू की कुछ बूंदें पर्वत पर गिरीं, उन बूंदों से रुद्राक्ष उत्पन्न हुए..
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रुद्राक्ष धारण करते समय ध्यान रखें इन बातों का
- रुद्राक्ष का उपयोग जीवन को सुखमय बनाने हेतु किया जाता है अत: ऐसे किसी भी काम में शामिल होने से पहले रुद्राक्ष हटा देना चाहिए जहां इसकी शुभता प्रभावित होती है.
- जिस स्थान पर बच्चे का जन्म हुआ हो उस स्थान पर रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. इसे बच्चे के जन्म के बाद भी पहना जा सकता है.
- कहा जाता है कि सोते समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि इस समय शरीर सुस्त और अशुद्ध रहता है.
- यदि कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए. तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से यह नकारात्मक रुप से अपना असर दिखाता है.
- शास्त्रों के अनुसार शारीरिक संबंध बनाते समय भी रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि इस समय शरीर अशुद्ध होता है.
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. इसके पीछे का कारण यह भी बताया जाता है कि इस समय शरीर अशुद्ध होता है शरीर और आचरण की शुद्धि का ध्यान रखना इसके लिए बेहद आवश्यक माना जाता है.