Raksha Sutra mantra : रक्षा सूत्र के इस मंत्र का राजा बलि से क्या है संबंध और क्यों लक्ष्मी ने माना
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भारतीय संस्कृति में हर बात का अपना महत्व है तथा उससे संबंधित कथाएं भी बेहद रोचक एवं मार्गदर्शक हैं. इसी क्रम में जब हम बात करते हैं रक्षासूत्र की तब इसे बांधने में उपयोग होने वाले मंत्र में निहित शब्दों की विशेषता भी अत्यंत ही महत्व रखती है. रक्षा सूत्र जो अपने नाम के अनुरुप ही फल देता है और जीवन में सुरक्षा को प्रदान करता है.
से हिंदू धर्म में कई रुपों में बांधा जाता है. जब हम राखी बांधते हैं तब भी यही रक्षा सूत्र रुप में मौजूद होता है. और इस रक्षा सूत्र का मंत्र भी इतना प्रभावि होता है कि जिसके द्वारा व्यक्ति की समस्त कष्टों मुक्ति संभव हो जाती है. रक्षा सूत्र को बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है जो कई मायनों में विशेष है. आइये जाने आखिर क्या है इस रक्षा सूत्र मंत्र के पीछे की कथा और क्या है इसका महत्व हैं.
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रक्षा सूत्र मंत्र
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः.
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे माचल माचलः..
इस रक्षा मंत्र के शुरुआत में असुरों के राजा बलि का नाम आता है. आखिर क्यों इसमें असुरों के राजा का नाम लिया जाता है तो इसके लिए हमें पौराणिक संदर्भ को समझना होगा.आज भी इस मंत्र को हम सभी उपयोग करते हैं. यह मंत्र राखी के मंत्र के रुप में भी विशेष है. राखी बांधते समय बहनें एक मंत्र का उच्चारण करती हैं, जिसे राखी मंत्र या रक्षा सूत्र मंत्र भी कहा जाता है. इस मंत्र के आरंभ में असुरों के राजा बलि का नाम आता है इस कथा का संबंध देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी से है.
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माता लक्ष्मी ने राजा बली को बांधा रक्षा सूत्र
पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षसों का राजा बाली शक्तिशाली था और स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था. इसके लिए दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें एक विशेष यज्ञ करने का संकल्प दिलाया. जब देवताओं को इस बात का पता चला तो वे भगवान विष्णु के पास गए. भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे 3 पग भूमि दान में मांगी.
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राजा बलि ने तीन पग भूमि दान करने का वचन दिया. जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया तब भगवान विष्णु ने उसे पाताल का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने उनसे कहा कि आप भी मेरे साथ पाताल में निवास कीजिये. वचन के कारण भगवान विष्णु राजा बलि के पास पाताल में रहने चले गये.
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इसी बीच जब यह बात देवी लक्ष्मी को पता चली तो वह बेहद चिंतित हो गईं और वह भी पाताल लोक चली गईं. राजा बलि ने देवी लक्ष्मी को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बनाया. जब राजा बलि ने देवी को उपहार देना चाहा तो उन्होंने अपने पति यानी भगवान विष्णु को मांग लिया और तब से यह रक्षा सूत्र आरंभ होता है और इस मंत्र को पढ़कर बहनें इस पर्व को मनाती आ रही हैं.