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Purnima January 2024 : पूर्णिमा पर कर लें ये चमत्कारी स्त्रोत का पाठ कभी नहीं सताएगा गरीबी का डरPurnima January Date: पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन सुख समृद्धि को प्रदान करने वाला होता है.
Purnima January 2024 : पूर्णिमा पर कर लें ये चमत्कारी स्त्रोत का पाठ कभी नहीं सताएगा गरीबी का डर
Purnima January Date: पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन सुख समृद्धि को प्रदान करने वाला होता है. इस शुभ दिन पर यदि देवी लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर लिया जाए तो भक्तों के जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी की समस्या नहीं रहती है.Paush Purnima Vrat Kab Hai: पौष पूर्णिमा का हिंदू धर्म में पौष माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है . इस दिन पर धर्म स्थलों में दर्शन के साथ ही गंगा स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है.
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पौष पूर्णिमा पर होती है सत्यनारायण कथा
पौष पूर्णिमा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है. यह वह दिन है जो भगवान विष्णु और भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. इस पवित्र दिन पर भगवान चंद्रमा की पूजा करना अत्यधिक फलदायक होता है. रात्रि समय पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन संपन्न होता है. भक्त पूर्णिमा तिथि के दिन सत्यनारायण व्रत भी रखते हैं तथा कथा भी करते हैं. इस दिन पर धर्म स्थलों में दर्शन के साथ ही गंगा स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है. इस शुभ दिन पर पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने के लिए पवित्र स्थानों की यात्रा भी की जाती है.पौष पूर्णिमा के दिन इस एक स्त्रोत से दूर होंगे सभी कष्ट
पौष पूर्णिमा के दिन हर घर में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त का पाठ करना शुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, आनंद और वैभव की देवी माना जाता है. श्री सूक्त का पाठ करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. यह देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे उत्तम स्वरुप माना गया है और पूर्णिमा के अवसर पर इस स्त्रोत के पाठ से सभी कष्ट दूर होते हैं.पौष पूर्णिमा हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व रखती है. पूर्णिमा चंद्रमा के दिन पड़ती है. पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. लोग इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं.
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श्री सूक्त ॥ Shree Suktam
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्.चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह..१..
ॐ तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्.
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्..२..
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्.
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्..३..
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्.
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्..४..
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्.
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे..५..
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः.
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः..६..
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह.
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे..७..
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्.
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात्..८..
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम्.
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम्..९..
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि.
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः..१०..
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम.
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्..११..
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे.
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले..१२..
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम्.
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह..१३..
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्.
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह..१४..
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्.
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्..१५..
य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्.
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत्..१६..
॥ इति श्री सूक्तम् संपूर्णम् |