जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
प्रदोष व्रत पूजन 2023
त्रयोदशी तिथि में रात्रि का प्रथम प्रहर अर्थात सूर्योदय के पश्चात सायंकाल का समय प्रदोष काल कहलाता है. किसी भी प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है. इसके अनुसार सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत आता है उस दिन के नाम पर प्रदोष नाम रखा जाता है.
जैसे सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष और मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है, गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहा जाता है. इसी प्रकार शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को शुक्र प्रदोष कहा जाता है. कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
त्रयोदशी तिथि इस बार 24 नवंबर 2023 को शुक्रवार को 19:07 बजे शुरू होगी. यह तिथि शनिवार, 25 नवंबर को समाप्त होगी. प्रदोष व्रत की पूजा का समय सूर्यास्त के बाद का होता है. ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा बेहद महत्व रखती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार शनि प्रदोष व्रत के दिन कुछ अन्य शुभ योग बन रहे हैं जो ज्योतिष शास्त्र में शुभ प्रभाव देने वाले हैं.
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प्रदोष व्रत से मिलता है सुख समृद्धि का लाभ
प्रदोष व्रत दिन सूर्योदय से पहले उठें और सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. इसके बाद सूर्य देव को अर्ध्य दें और बाद में भगवान शिव की पूजा करनी शुभ होती है. इस दिन रुद्राभिषेक करना भी अत्यंत विशेष होता है.
इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, धूप-दीप और प्रसाद चढ़ाने के बाद शिव मंत्र और शिव चालीसा का जाप करना चाहिए.ऐसा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होने के साथ-साथ कर्ज से मुक्ति संबंधी प्रयास भी सफल होते हैं. प्रदोष द्वारा सभी पापों से मुक्त होकर पुण्य प्राप्त करता है और रोग, ग्रह दोष, परेशानियां आदि से भी मुक्ति पाता है.