Pradosh Vrat
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पंचांग के अनुसार हर माह में आने वाली प्रदोष तिथि के दिन शिव पूजन किया जाता है. इस प्रदोष पूजा में व्रत एवं दान का विशेष फल बताया गया है. प्रदोष महिमा का वर्णन शिवपुराण में भी प्राप्त होता है. शुक्ल पक्ष में और कृष्ण पक्ष में आने वाले दोनो प्रदोष का प्रभाव विशेष होता है. भाद्रपद माह की समाप्ति से पूर्व भाद्रपद मास का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस प्रदोष व्रत के शिव पूजन एवं उसके नियमों को उचित रुप से करने पर भक्तों को इसका विशेष फल मिलता है.
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प्रदोष व्रत में शिव पूजा के नियम
शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. इस दिन पर पूजा एवं व्रत के द्वारा भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रदोष व्रत को करने से ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि प्रदोष का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस व्रत में दान एवं मंत्र जाप करने से सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है. पूजा में भगवान की प्रिय वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए.
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प्रदोष पूजा भगवान शिव के लिए रखा जाने वाला व्रत है. इस दिन शिव पूजा के साथ-साथ शिव रुद्राभिषेक करके भगवान को प्रसन्न करते हैं. प्रदोष व्रत से सभी प्रकार के दोष शांत हो जाते हैं. इस दिन सूर्य उपासना के साथ साथ चंद्र पूजा भी की जाती है. जिससे व्रत और पूजा का बेहद शुभ प्रभाव मिलता है.
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प्रदोष पूजा मुहूर्त
इस माह भाद्रपद मास का दूसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा.प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के साथ देवी पार्वती पूजा की जाती है. इस दिन भगवान भक्तों के पास निवास करते हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से कष्ट और दोष दूर होते हैं तथा इच्छाएं पूरी करते हैं. भगवान अपनी कृपा बनाए रखते हैं. पंचांग के अनुसार एक महीने में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष में रखा जाता है और दूसरा कृष्ण पक्ष में रखा जाता है. पंचांग के अनुसार इस माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 सितंबर, बुधवार को सुबह 1:45 बजे से शुरू होगी और रात 10:28 बजे समाप्त होगी. इस वजह से प्रदोष व्रत 27 सितंबर को ही रखा जाएगा.