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Home ›   Blogs Hindi ›   Pradosh Vrat: Pradosh Vrat will be celebrated on the day of Trayodashi Shraddha. Know its importance

Pradosh Vrat: त्रयोदशी श्राद्ध के दिन मनाया जाएगा प्रदोष व्रत जानें इसका महत्व

Acharyaa RajRani Updated 11 Oct 2023 11:06 AM IST
Pradosh Vrat
Pradosh Vrat - फोटो : my jyotish
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि श्राद्ध के साथ प्रदोष व्रत के समय के लिए भी विशेष रहने वाली है. प्रदोष व्रत का श्राद्ध समय के दौरान होना बहुत महत्व रखता है. इस समय पर प्रदोष पूजा एवं श्राद्ध शांति से संब्म्धित कार्य संपन्न होंगे. भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत बहुत उत्तम माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाला व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से बच जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. इस व्रत को करने से उत्तम लोक की प्राप्ति होती है. कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आने वाले गुरुवार को मनाया जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन विधिपूर्वक शिव की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही पूजा विधि क्या है.

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प्रदोष व्रत विधि
प्रदोष के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. पितरों को नमस्कार करते हुए तर्पण से संबंधित कार्यों को करना चाहिए. इसके बाद घर पर या किसी शिव मंदिर में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए. जल, घी, दूध, चीनी, शहद, दही आदि से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल इत्यादि अर्पित करना चाहिए. भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल से पूजा करनी चाहिए. इस दिन शिव स्तुति के रुप में पुराण चालिसा इत्यादि का पाठ अवश्य करना चाहिए. 

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प्रदोष व्रत की पूजन लाभ 
प्रदोष पूजा संध्या समय की होती है लेकिन इस दिन सूर्योदय से लेकर पूरे दिन रात्रि की पूजा कर सकते हैं. शिव पूजा में राहुकाल आदि नहीं देखा जाता. भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप अवश्य करना चाहिए. इस मंत्र का जाप करते हुए एक-एक करके पूजा सामग्री शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भक्ति भाव से किया गया पूजन हर प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है. 
  
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प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठना बेहद शुभ होता है. भगवान शिव पर बेलपत्र, अक्षत को चढ़ाना शुभदायी माना जाता है. दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन पूरे  समय उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले पुन: स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा करनी चाहिए. 

श्राद्ध समय आने वाला प्रदोष व्रत पितृ आशीर्वाद भी प्रदान करता है. इस समय पर किया जाने वाला दान एवं पूजन बेहद शुभ होता है.
 
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