Pradosh Vrat
- फोटो : my jyotish
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि श्राद्ध के साथ प्रदोष व्रत के समय के लिए भी विशेष रहने वाली है. प्रदोष व्रत का श्राद्ध समय के दौरान होना बहुत महत्व रखता है. इस समय पर प्रदोष पूजा एवं श्राद्ध शांति से संब्म्धित कार्य संपन्न होंगे. भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत बहुत उत्तम माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाला व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से बच जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है. इस व्रत को करने से उत्तम लोक की प्राप्ति होती है. कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आने वाले गुरुवार को मनाया जाएगा. प्रदोष व्रत के दिन विधिपूर्वक शिव की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही पूजा विधि क्या है.
इस शारदीय नवरात्रि कराएं खेत्री, कलश स्थापना 9 दिन का अनुष्ठान , माँ दुर्गा के आशीर्वाद से होगी सभी मनोकामनाएं पूरी - 15 अक्टूबर- 23 अक्टूबर 2023
प्रदोष व्रत विधि
प्रदोष के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. पितरों को नमस्कार करते हुए तर्पण से संबंधित कार्यों को करना चाहिए. इसके बाद घर पर या किसी शिव मंदिर में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए. जल, घी, दूध, चीनी, शहद, दही आदि से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल इत्यादि अर्पित करना चाहिए. भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल से पूजा करनी चाहिए. इस दिन शिव स्तुति के रुप में पुराण चालिसा इत्यादि का पाठ अवश्य करना चाहिए.
विंध्याचल में कराएं शारदीय नवरात्रि दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य : 15 अक्टूबर - 23 अक्टूबर 2023 - Durga Sahasranam Path Online
प्रदोष व्रत की पूजन लाभ
प्रदोष पूजा संध्या समय की होती है लेकिन इस दिन सूर्योदय से लेकर पूरे दिन रात्रि की पूजा कर सकते हैं. शिव पूजा में राहुकाल आदि नहीं देखा जाता. भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप अवश्य करना चाहिए. इस मंत्र का जाप करते हुए एक-एक करके पूजा सामग्री शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भक्ति भाव से किया गया पूजन हर प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है.
सर्वपितृ अमावस्या पर हरिद्वार में कराएं ब्राह्मण भोज, दूर होंगी पितृ दोष से उत्पन्न समस्त कष्ट - 14 अक्टूबर 2023
प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठना बेहद शुभ होता है. भगवान शिव पर बेलपत्र, अक्षत को चढ़ाना शुभदायी माना जाता है. दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन पूरे समय उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले पुन: स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा करनी चाहिए.
श्राद्ध समय आने वाला प्रदोष व्रत पितृ आशीर्वाद भी प्रदान करता है. इस समय पर किया जाने वाला दान एवं पूजन बेहद शुभ होता है.