खास बातें
Chaitra Pradosh Vrat 2024 : चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाला प्रदोष व्रत करता है हर प्रकार के दोष की शांति. शिव प्रदोष पूजा से मिलता है भक्त को महादेव का शुभ आशीर्वाद. प्रदोष व्रत पूजा बेहद महत्व रखती है जो दुर्लभ योगों में भी स्थान पाता है.
विज्ञापन
विज्ञापन
विंध्याचल में कराएं चैत्र नवरात्रि दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य : 09 अप्रैल - 17 अप्रैल 2024 - Durga Sahasranam Path Online
Shani Pradosh Vrat 2024 Time शनिवार के दिन प्रदोष तिथि का होना शनि प्रदोष के रुप में जाना जाता है. शनि प्रदोष समय पर किया जाने वाला भगवान शिव का पूजन भक्तों के दुख दर्द दूर करता है. व्यक्ति को मिलती है हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति. आइये जानते हैं कब होगा प्रदोष व्रत? प्रदोष व्रत मुहूर्त और शनि प्रदोष पूजा विधि.
चैत्र माह प्रदोष 2024 शुभ मुहूर्त योग
शिव प्रदोष व्रत के दिन बेहद दुर्लभ योग संयोग बन रहा है. इससे व्रत करने वाले को पूजा का कई गुना लाभ मिलेगा. जानिए कब है शनि प्रदोष व्रत, शुभ योग, पूजा का समयहिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर सर्व कल्याण हेतु कराएं 11000 मंत्रों का जाप और पाएं गृह शांति एवं रोग निवारण का आशीर्वाद 09 -17 अप्रैल 2024
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 06 अप्रैल 2024 को सुबह 10:19 बजे शुरू होगी. इसका समापन 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा. पूजा का समय शाम 06:42 बजे से रात 08:58 बजे तक रहने वाला है. 6 अप्रैल 2024 को शनि प्रदोष के दिन शुभ और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है.
इस समय पर बुध ओर बृहस्पति मेष राशि में रहेंगे तथा शुक्र और सूर्य मीन राशि में स्थित हैं. कुंभ राशि में शनि और मंगल की युति बनेगी. शुभ योग 05 अप्रैल 2024, सुबह 09:56 से 06 अप्रैल 2024, सुबह 06:15 तक और शुक्ल योग 06 अप्रैल 2024, प्रातः 06:15 से 07 अप्रैल 2024, प्रातः 02:20 तक होगा. शुभ योगों का संयोग व्रत को और भी श्रेष्ठ फल प्रदान करने वाला बनाता है.
कामाख्या देवी शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024 - Durga Saptashati Path Online
प्रदोष पूजा महत्व 2024 विशेष
भगवान शिव की पूजा यदि प्रदोष के समय पर शिव परिवार के साथ की जाए तथा प्रदोष के समय भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाए जाए तो इसके दूरगामी फल मिलते हैं. मुहूर्त शास्त्र अनुसार जब किसी विशेष समय पर विशेष व्रत पड़े तो उस दिन का महत्व कई गुना फल प्रदान करने वाला होता है. इस समय चैत्र माह के दौरान शनिवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. ऎसे में प्रदोष के साथ शनिवार का योग होने से व्रत पर बन रहा होता है अद्भुत योग, व्रती को जहां इस समय शिव भगवान की कृपा मिलेगी उसी के साथ शनि देव की कृपा भी प्राप्त होगी.चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024
चैत्र प्रदोष आरती 2024
||शिव आरती||
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिवअर्द्धांगी धारा ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
दो भुज चारचतुर्भुज दस भुजअति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जनमोहे ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भालेशशिधारी ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
श्वेताम्बरपीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
कर के मध्यकमंडलु चक्र त्रिशूलधर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानतअविवेका ।
प्रणवाक्षरमध्ये ये तीनोंएका ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
काशी में विश्वनाथविराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोगलगावत महिमा अतिभारी ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जोकोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछितफल पावे ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिवअर्द्धांगी धारा ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
दो भुज चारचतुर्भुज दस भुजअति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जनमोहे ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भालेशशिधारी ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
श्वेताम्बरपीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
कर के मध्यकमंडलु चक्र त्रिशूलधर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानतअविवेका ।
प्रणवाक्षरमध्ये ये तीनोंएका ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
काशी में विश्वनाथविराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोगलगावत महिमा अतिभारी ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जोकोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछितफल पावे ॥
जय शिव ओंकाराॐ जय शिवओंकारा ।