Pradosh Vrat
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प्रदोष पूजा का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक रहा है. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने हेतु भक्त प्रदोष व्रत को भक्ति के साथ करते हैं. इस बार भादो माह में दो प्रदोष व्रत आएंगे जिसमें से पहला कृष्ण पक्ष में होगा और दूसरा शुक्ल पक्ष के दौरान रखा जाएगा. इस बार भाद्रपद मास की त्रयोदशी तिथि यानी 12 सितंबर को कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार यह व्रत मंगलवार के दिन पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है. अगर व्यक्ति रोग अथवा किसी कष्ट से परेशान हैं तो इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी संकट दूर होने लगते हैं. इसके अलावा प्रदोष व्रत को करने से आर्थिक संकट से भी राहत मिल सकती है.
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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त समय
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत पर विशेष संयोग बन रहा है. इसका व्रत 12 सितंबर को रखा जाएगा. भाद्र मास की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 12 सितंबर की सुबह 08:30 मिनट से हो रहा है. इसकी समाप्ति अगले दिन 13 सितंबर को सुबह 10:45 बजे पर होगी. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. इसलिए इसे उदयातिथि न मानते हुए प्रदोष व्रत 12 सितंबर को रखा जाएगा. वहीं पूजा का शुभ समय शाम 07:05 मिनट से रात 09:30 मिनट तक रहने वाला है. इस बार के प्रदोष व्रत का दिन मंगलवार होने के कारण इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जा सकता है. यह व्रत कर्ज से मुक्ति दिलाने के साथ साथ रोगों से मुक्ति दिलाने वाला भी होता है.
यह दिन शिव पूजन के लिए बेहद खास होता है. इस दिन व्रत रखने और प्रदोष काल में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलेगी और आर्थिक संकट भी खत्म हो जाते हैं.
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प्रदोष पूजा अनुष्ठान
प्रदोष व्रत के दिन पूजा नियमों का शुभ रुप से पालन करते हुए भगवान की भक्ति की जाती है. कष्टों से मुक्ति और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भाद्र मास के प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए. प्रदोष काल में भगवान शिव का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना शुभदायक होता है. बेलपत्र, धतूरा, फूल, धूप, दीप और लड्डू चढ़ाएं. इसके साथ ही शिव स्तोत्र का पाठ करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं.