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Home ›   Blogs Hindi ›   Pradosh Vrat 2023: First Pradosh Vrat of Kartik month, all wishes will be fulfilled

Pradosh Vrat 2023: कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत, पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं

Myyotish Expert Updated 10 Nov 2023 11:29 AM IST
Pradosh Vrat
Pradosh Vrat - फोटो : Myjyotish
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इस महीने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शुक्र प्रदोष व्रत किया जाएगा. प्रदोष व्रत के दौरान शाम के समय भगवान शिव की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार इस दिन प्रदोष काल अर्थात शाम के समय पर यह पूजन विशेष होता है. इस दौरान भोलेनाथ की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है.

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कार्तिक माह में आने वाला प्रदोष व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. इस समय पर भगवान शिव समेत समस्त शिव परिवार का पूजन किया जाता है. श्री विष्णु पूजन होता है. शुक्रवार का दिन होने पर इस दिन शुक्र ग्रह से संबंधित उपायों के द्वारा सुख समृद्धि का वरदान मिलता है.

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प्रदोष व्रत नियम महत्व 
प्रदोष व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसा माना जाता है कि व्रत के पालन एवं भक्ति द्वारा भौतिक जगत और आध्यात्मिक दोनों में ही सुख की प्राप्ति होती है. जीवन में शुभता और विजय का आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष व्रत के दिन का समय ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद साधना का होता है. पूजन भक्ति के दौरान शारीरिक सुख भोगने से बचना चाहिए. आहार को सर्वाधिक महत्व देना चाहिए.  प्रदोष व्रत आमतौर पर सुबह जल्दी शुरू होता है.

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सूर्यास्त के समय भगवान शिव की पूजा के साथ व्रत समाप्त होता है.  प्रदोष का समय सूर्यास्त के समय अनुसार अलग-अलग हो सकता है, साथ ही भगवान शिव की पूजा का समय भी अलग-अलग होता है. एक परंपरा अनुसार उपवास रखने तथा रात्रि जागरण करते हुए इस व्रत को पूर्ण किया जाता है. इस में भक्त रात के दौरान जागता है और अगली सुबह शिव पूजा के साथ उपवास समाप्त करता है.

प्रदोष व्रत पूजा विधान 
इस व्रत में शिवजी के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करते हैं. प्रदोष अवधि के दौरान भक्तों के लिए बिना कुछ खाए रहने की प्रथा व्रत के रुप में होती है. व्रत नही कर पाने पर भक्त को चाहिए कि अपने आहार को सात्विक भोजन तक सीमित रखना चाहिए, तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. उपवास की अवधि के दौरान सौम्य और शांत रहना चाहिए. ॐ नमः शिवाय का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए तथा दूध, जल, गंगाजल आदि से अभिषेक करना चाहिए. 

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