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Pradosh Vrat 2024: माघ माह का अंतिम प्रदोष पूजा के दिन जरुर करें ये एक काम मिलेगा प्रदोष लाभ

Acharya Rajrani Sharma Updated 21 Feb 2024 09:52 AM IST
Pradosh Vrat
Pradosh Vrat - फोटो : my jyotish

खास बातें

Pradosh Vrat 2024: माघ माह का अंतिम प्रदोष पूजा के दिन जरुर करें ये एक काम मिलेगा प्रदोष लाभ  

Pradosh Vrat Shubh Muhurat: प्रदोष व्रत का समय संध्या समय प्रदोष काल की पूजा से है और इस समय को उत्तम शुभ मुहूर्त के रुप में पूजा के लिए उपयोगी माना गया है.
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Pradosh Vrat 2024: माघ माह का अंतिम प्रदोष पूजा के दिन जरुर करें ये एक काम मिलेगा प्रदोष लाभ  


Pradosh Vrat Shubh Muhurat: प्रदोष व्रत का समय संध्या समय प्रदोष काल की पूजा से है और इस समय को उत्तम शुभ मुहूर्त के रुप में पूजा के लिए उपयोगी माना गया है. इस समय पर की जाने वाली पूजा के द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करके भक्त जीवन को सुखमय बना पाएंगे.   

Pradosh Vrat Labh: प्रदोष व्रत के समय पर की जाने वाली शिव पूजा अच्छे स्वास्थ्य सुख को प्रदान करने वाली है. शुभ समय पर की गई पूजा से भक्तों के कष्ट होते हैं दूर. आइये जानें प्रदोष पूजा में मंत्र एवं स्त्रोत पाठ महत्व 

प्रदोष पूजा के दौरान महादेव का आशीष प्राप्त होता है. इस पूजा द्वारा सेहत और लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत, के द्वारा रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है. स्वस्थ रहने के लिए प्रदोष समय पर की जाने वाली शिव पूजा सुख प्रदान करती है.प्रदोष पूजा में व्रत एवं स्त्रोत मंत्र करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है. भगवान शिव के प्रिय समय में पूजा से भगवान को प्रसन्न करना अत्यंत सहज होता है. दोषों से मुक्ति के लिए किया जाता है. प्रदोष काल में पूजा होने के कारण यह बहुत महत्वपूर्ण है. विशेष बात यह है कि यदि प्रदोष व्रत रखा जाए तो इसे करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
 

माघ माह के बुध प्रदोष की महिमा 

भगवान शिव को समर्पित माघ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को विशेष पूजनीय होता है. इस पूजा के लिए प्रदोष काल बहुत शुभ माना जाता है. प्रदोष काल में की गई पूजा ही शुभ मानी जाती है. इस समय पर की जाने वाली पूजा ग्रह दोषों से मुक्ति का आधार बनती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष का व्रत करने से भगवान न सिर्फ सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं इसके साथ साथ निरोगी काया का आशीर्वाद भी मिलता है. इस दिन प्रदोष व्रत करने से अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का वरदान मिलता है.
प्रदोष व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है. इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन सुखी होता है. परिवार की परेशानियां दूर हो जाती हैं. इस व्रत को करने से संतान सुख मिल पाता है बुध प्रदोष व्रत के दौरान हरी दाल खाना शुभ माना जाता है. इस व्रत को करने से शिव-पार्वती की कृपा बरसती है.
 

शिव कवच स्त्रोत 

ॐ नमो भगवते सदा शिवाय सकल तत्त्वात्मकाय सर्व मंत्र स्वरूपाय सर्व यंत्राधिष्ठिताय सर्व तंत्र स्वरूपाय सर्वत्त्वविदूराय ब्रह्म रुद्रावतारिणे नील कंठाय पार्वती मनोहर प्रियाय सोम सूर्याग्नि लोचनाय भस्मोद्धूसलित विग्रहाय महा मणि मुकुटधारणाय माणिक्य भूषणाय सृष्टि स्थिति प्रलय काल रौद्रावताराय दक्षा ध्वरध्वंसकाय महा काल भेदनाय मूला धारैकनिलयाय तत्त्वातीताय गंगा धराय सर्व देवाधि देवाय षडाश्रयाय वेदांतसाराय त्रिवर्ग साधनायानंत कोटि ब्रह्माण्डनायकायानंत वासुकि तक्षक कर्कोटकङ्खिकुलिक पद्ममहापद्मेत्यष्टमहानागकुलभूषणायप्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाशदिक्स्वरूपायग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलंकरहिताय सकललोकैकर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकल वेदान्तपारगाय सकल लोकैकवरप्रदाय सकल कोलोकैकशंकराय शशांक शेखराय शाश्वगत निजावासाय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्लोभाय निर्मदाय निश्चिंताय निरहंकाराय निरंकुशाय निष्कलंकाय निर्गुणाय निष्कामाय निरुपप्लवाय निरवद्याय निरंतराय निष्कारणाय निरंतकाय निष्प्रपंचाय नि:संगाय निर्द्वंद्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्मलाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियय निस्तुलाय नि:संशयाय निरंजनाय निरुपम विभवाय नित्यशुद्धबुद्ध परिपूर्ण सच्चिदानंदाद्वयाय परम शांतस्वरूपाय तेजोरूपाय तेजोमयाय जय जय रुद्रमहारौद्रभद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पांतभैरव कपालमालाधर खट्वांगखड्गचर्म पाशां कुशडमरुशूलचापबाणगदा शक्तिवभिंदिपालतोमरमुसलमुद्गरपाशपरिघ भुशुण्डीशतघ्नीचक्राद्यायुध भीषण करसहस्रमुखदंष्ट्रा करालवदनविकटाट्टहासविस्फारितब्रह्मांडमंडल नागेंद्रकुंडल नागेंद्रहार नागेन्द्रवलय नागेंद्रचर्मधरमृयुंजय त्र्यंबकपुरांतक विश्विरूप विरूपाक्ष विश्वेलश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वदतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल ज्वल महामृत्युमपमृत्युभयं नाशयनाशयचोरभयमुत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान्मारय मारय ममशमनुच्चाट्योच्चाटयत्रिशूलेनविदारय कुठारेणभिंधिभिंभधि खड्गेन छिंधि छिंधि खट्वां गेन विपोथय विपोथय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय वाणै: संताडय संताडय रक्षांसि भीषय भीषयशेषभूतानि निद्रावय कूष्मांडवेतालमारीच ब्रह्म राक्षस गणान्संत्रासय संत्रासय ममाभय कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वा सयाश्वाासय नरक महाभयान्मामुद्धरसंजीवय संजीव यक्षुत्तृड्भ्यां मामाप्याय-आप्याय दु:खातुरं मामानन्दयानन्दयशिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादयमृत्युंजय त्र्यंबक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते।
इति श्रीस्कंदपुराणे अमोघ-शिव-कवचं समाप्तम् ।।
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