Pitru Paksha
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पितरों को श्राद्ध देने के लिए पितृ पक्ष का प्रारंभहो गया है ओर इसी के साथ हर तिथि पर श्राद्ध कार्य भी संपन्न किए जा रहे हैं. हिंदू धर्म में पितृ पूजा का स्थान अति महत्वपूर्ण होता है. पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों और पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म एवं पिंड दान करते हैं. पितरों के लिए किए जाने वाले कार्यों द्वारा पितर अति प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर-परिवार में धन-दौलत, संतान सुख, वंश वृद्धि, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
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पितृ पक्ष कब से होगा प्रारंभ?
पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक होता है. इस बार चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ
02 अक्टूबर, 2023 को 07:36 पर आरंभ होगी. इसके साथ चतुर्थी तिथि की समाप्ति
03 अक्टूबर 2023 को 06:11 पर होगी. इस दिन कुतुप मूहूर्त का 11:47 से 12:34 तक का रहने वाला है. इस समय पर रौहिण मूहूर्त का समय 12:34 से 13:22 तक का प्रभाव होगा. अपराह्न काल का समय 13:22 से 03:44 तक में रहने वाली है.
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श्राद्ध करने की सरल व सही विधि
पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और तर्पण देने का विशेष महत्व होता है. पितरों का तर्पण करने का मतलब उन्हें जल देना है. इसके लिए प्रति दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके बैठना चाहिए. हाथ में कुश, जल, अक्षत, पुष्प और तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करना चाहिए. इस दौरान ॐ आगच्छन्तु में पितर और ग्रहन्तु जलान्जलिम मंत्र का जप करते हुए इस जल को पितरों का नाम लेते हुए पृथ्वी पर गिरा देना चाहिए. इसी तरह करते हुए पितरों से जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करनी चाहिए. जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो. उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. भोजन कौओं और कुत्तों को भी खिलाना चाहिए.