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Pitru Paksha 2023 Special: पितृ पक्ष पर द्वितीय तिथि के श्राद्ध पर ऎसे करें पूजन कार्य जानें सभी महत्वपूर्ण बा

my jyotish expert Updated 30 Sep 2023 10:14 AM IST
Pitru Paksha 2023
Pitru Paksha 2023 - फोटो : my jyotish
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पितृ पक्ष अब शुरु हो गए हैं और  14 अक्टूबर तक यह कार्य बने रहने वाले हैं. हर तिथि का इस पर्व में पूजन होता है क्योंकि हर तिथि पूर्वजों से संबंधित मानी जाती है. इन दिनों पर पितरों के प्रति श्रद्धापूर्वक किया गया पूजन सभी के लिए कुल वृद्धि एवं सुख प्रदान करने वाला होता है. मोक्ष का अनुष्ठान श्राद्ध कहलाता है जो पितरों को संतुष्ट करने वाला होता है. जो भी अपने पितरों को संतुष्ट करता है उसे अपने पितरों का आशीर्वाद अवश्य प्रप्त होता है. पितृ को तृप्त करने की प्रक्रिया को तर्पण कहा जाता है. तर्पण करना पिंडदान करना यह पितृ पक्ष के दौरान विशेष माना जाता है. 
 
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वैसे अमावस्या की तिथि को पितरों की पूजा हेतु उत्तम माना जाता है और वहीं आश्विन माह के शुक्ल पक्ष का समय भी पितरों की शांति का खास समय होता है. श्राद्ध का समय भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण की अमावस्या तक चलता रहता है. इस दिन हर तिथि पर पूजा कार्य होते हैं. जिनका द्वितीया तिथि का श्राद्ध होता है उस दिन उनके लिए द्वितीया तिथि श्राद्ध कार्य होता है. 
 इस वर्ष पितृ पक्ष की  द्वितीया तिथि पर कैसे करें श्राद्ध कार्य और क्या रहेगा पूजा का विधान आइये जानते हैं इसे विस्तार पूर्वक. 

द्वितीया श्राद्ध पूजा अनुष्ठान समय 
द्वितीया श्राद्ध का समय शनिवार को रहने वाला है. द्वितीया तिथि आरंभ 30 सितंबर 2023 दोपहर 12:21 बजे होकर द्वितीया तिथि समाप्ति 01 अक्टूबर 2023 को प्रातः 09:41 बजे पर होगी. इस दिन कुतुप मुहूर्त का समय सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहने वाला है.

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जिसकी अवधि 48 मिनट तक रहने वाली है. इस दिन रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:35 बजे से 01:23 बजे तक रहने वाला है. दोपहर का समय पूजन के लिए 13:23 से 15:46 तक रहने वाला है.  द्वितीया श्राद्ध उन मृत परिवार के सदस्यों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु द्वितीया तिथि को हुई थी. इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है द्वितीया श्राद्ध को दूज श्राद्ध भी कहा जाता है.
 

इस समय पितर सूक्ष्म रूप में हमारे साथ निवास करते हैं.  श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्त करने के लिए भोजन दिया जाता है और दान और पिंडदान करके उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. 
 
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