Pitru Paksha 2023
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पितृ पक्ष अष्टमी श्राद्ध का समय उन लोगों हेतु होता है जिनका देहवासन इस अष्टमी तिथि के दिन हुआ होता है. पितृ पक्ष श्राद्ध अभी जारी हैं और इसी के साथ पितृ शांति दिवस पर नियमित रुप से पूजन एवं धार्मिक अनुष्ठान इत्यादि करने से शुभता प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि श्राद्ध के अष्टमी पक्ष के बारे में तथा क्यों माना जाता इसका विशेष महत्व.
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पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, ब्राह्मण भोजन और पिंडदान अनुष्ठान किए जाते हैं. मान्यता है कि उचित मुहूर्त में किया गया श्राद्ध पुण्य फल देता है. पूर्वज अपने वंशजों को सुख, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष के दौरान पितर तर्पण के माध्यम से शांति कार्य किया जाता है. इसके लिए तिल एवं जल के द्वारा श्राद्ध किया जाता है तथा पितर भोजन ग्रहण करते हैं.
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पितृ पक्ष अष्टमी श्राद्ध 2023
पितरों का श्राद्ध करने के लिए पूजा का समय कुतुप तथा रौहिण को सर्वोत्तम माना जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि सुबह और शाम देवताओं को समर्पित होती है. इस दौरान भगवान की पूजा की जाती है. सूर्यास्त के बाद श्राद्ध नहीं करना चाहिए, इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है. यही कारण है कि दोपहर के समय पितरों को याद करके तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है. श्राद्ध के लिए दोपहर का कुतुप और रोहिण मुहूर्त अच्छा माना जाता है. इस अवधि में ही ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए.अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 06 अक्टूबर, 2023 को 06:34 बजे से होगा और अष्टमी तिथि समाप्त होगी 07 अक्टूबर, 2023 को 08:08 बजे. अष्टमी श्राद्ध शुक्रवार के दिन को किया जा सकेगा. इस दिन कुतुप मूहूर्त 11:46 से 12:33 तक का होगा और रौहिण मूहूर्त का समय 12:33 से 01:20 तक का होगा.
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अष्टमी श्राद्ध एवं महत्व
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है. पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. शास्त्रों के अनुसार जिस व्यक्ति की मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी या कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है उसका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है.ऎसे में अष्टमी तिथि का श्राद्ध करने से पितरों को सुख एवं शांति प्राप्त होती है.