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Pitru Paksha 2023:  तृतीया तिथि के श्राद्ध में पूजा कार्यों का पालन करें नियम से बनी रहेगी बरकत

my jyotish expert Updated 30 Sep 2023 02:32 PM IST
Pitru Paksha 2023:  तृतीया तिथि के श्राद्ध में पूजा कार्यों का पालन करें नियम से बनी रहेगी बरकत
Pitru Paksha 2023:  तृतीया तिथि के श्राद्ध में पूजा कार्यों का पालन करें नियम से बनी रहेगी बरकत - फोटो : my jyotish
शास्त्रों में पितर पक्ष की तृतीया तिथि में उन लोगों का श्राद्ध कार्य होता है जिनका देहवासन इस तिथि में हुआ हो. तीसरे श्राद्ध के दिन पर पूर्वजों की शांति के लिए कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं. इस साल पितृ पक्ष के दौरान लगातार 16 दिनों तक पितरों की पूजा की जाएगी.

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अब इन दिनों में तृतीया तिथि के दिन किए जाने वाले तरपण कार्यों एवं समय की स्थिति विशेष रहने वाली है. वैसे तो सभी तिथियों में इन दिनों में पितृ पक्ष में तर्पण, दान, श्राद्ध और शांति से जुड़े कार्य किए जाते हैं.

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पितृ पक्ष पूर्णिमा और अमावस्या तिथि के भीतर शुरू और समाप्त होता है. यह अश्विन अमावस्या तिथि के साथ मेल खाता है और इस दिन सर्व पितृ अमावस्या भी होती है जब किसी की तिथि याद न हो तो उक्त तिथि को लिया जाता है. इस कारण से ही इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है. 
 
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तृतीया तिथि पूजन एवं तर्पण कार्य 
पितृ पक्ष के दौरान तृतीया तिथि के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं. श्राद्ध पूजा किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्र जाप करते हुए संपन्न होती है. पूजा के बाद जल से तर्पण किया जाता है. श्राद्ध में भोजन का विशेष नियम भी होता है.

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श्राद्ध करने के लिए किसी ब्राह्मण को आमंत्रित करते हैं तथा, भोज का आयोजन करते हैं. सभी लोग अपनी अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा भी देते हैं.  जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद के अनुसार भोजन बनाना बहुत शुभ होता है. 
  
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तृतीया तिथि पूजा समय 
तृतीया श्राद्ध रविवार, 1 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन पर कुतुप मूहूर्त का समय 11:47 से 12:34 के मध्य रहने वाला है. रौहिण मूहूर्त का समय 12:34 से 13:22 तक रहने वाला है. पूजा के लिए अपराह्न काल समय 13:22 से 15:45 तक रहेगा.

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तृतीया तिथि प्रारम्भ 1 अक्टूबर, 2023 को 09:41 बजे होगा और तृतीया तिथि समाप्त होगी 2 अक्टूबर2023 को 07:36 बजे. तृतीया श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो, इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की तृतीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है.
  
 
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