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जानिए पितरों को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति देने के लिए करनी चाहिए कौन सी विधि

my jyotish expert Updated 20 Sep 2021 02:00 PM IST
shradh 2021
shradh 2021 - फोटो : google photo
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आगामी महीना त्योहारों {festivals } की सौगात के साथ आ रहा हैं। गौरतलब हैं कि भादो का महीना अब अपनी समाप्ति की ओर हैं ,तथा हिन्दू पंचाग {Hindu panchag } के अनुसार अब त्योहारों का सिलसिला शुरू होने वाला हैं। जैसा कि आप सभी जानतें हैं कि हमारे शास्त्रों के के अनुसार हमारे जीवन {life } में तिथि का एक खास महत्व होता हैं और विशेषकर अमावस्या और पूर्णिमा का। ज्योतिष शास्त्र {Astrology } के अनुसार नवरात्रि {Navratri } से पूर्व अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रों से ठीक होने वाले अमावस्या को महालया {Mahalya } अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। इस वर्ष महालया अमावस्या की तिथि दो दिवस को पड़ रहीं हैं , 8 एवं 9 अक्टूबर  को इन दिनों में यह तिथि बंट गईं हैं। ऐसी मान्यता हैं कि इस महालया अमावस्या के दिन सर्व पितृ {sarv pitri } का विसर्जन {Visarjan } भी किया जाता हैं। इस दिन मुख्य , पवित्र नदियों में सर्व पितृ विसर्जन करने के बाद स्न्नान किया जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इस पितरों {pitar } के नाम से  श्राद्ध  {shradh} एवं दान करने से बहुत पुण्य एवं आत्मा को शांति की प्राप्ति होती हैं। पितरों के नाम से दान और पूजन करवाने से मानसिक सुख भी मिलता हैं।  आइए आज इस लेख के माध्यम से जानतें हैं महालया अमावस्या के विषय में तथा इसके महत्व के बारें में :

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1. महालया अमावस्या के बारें में कहा जाता हैं कि यह प्रमुखतः बंगालियों {Bengali } का पर्व हैं , पहले अधिकतर बंगाली समुदाय के लोग ही नवरात्र से ठीक पूर्व इस दिवस को मनातें हैं। लेकिन अब इस दिवस को पुरे देश में मनाया जाता हैं।

2. ज्योतिष के विद्वानों के मुताबिक इस दिन पितरों के नाम पर पूजन और दान करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। पितरों के तर्पण के लिए यह एक प्रमुख दिन माना जाता हैं।

3. ज्योतिष ऐसा बतातें हैं कि यदि किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि का पता ना हो तो उन्हें इसी महालया अमावस्या के दिन श्राद्ध करने से लाभ मिलता हैं और अगर किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनकी आत्मा की शांति के लिए भी इसी दिन पूजन करना सबसे उत्तम माना गया हैं।

4. ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन पितरों के नाम पर दान करने से वे जन्म मरण के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जातें हैं एवं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होतीं हैं। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना भी बहुत अच्छा माना गया हैं।

5. महालया अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैं।

6. इस दिवस से जुड़ी कई मान्यतायें हैं , ऐसा कहा जाता हैं कि इसी दिन सुबह पितरों की विदाई की जातीं हैं और पितरों अपने लोक में लौट जातें हैं।

7. . महालया अमावस्या को  ही साल के सबसे बड़े त्यौहार दुर्गा पूजा {Durga Puja } की शुरुआत भी  होती हैं।

8. . दुर्गा पूजा से सबंधित कई ऐसी पौराणिक कथाएं हैं जिनमें ऐसा बताया गया हैं कि माता दुर्गा { Mata Durga } इसी दिन अपने धाम से विदा लेतीं हैं और फिर अगले दिन से 9 दिनों के लिए अपने भक्तों के घर में विराजतीं हैं।

9  . बहुत विद्वान ऐसा भी बतातें हैं कि इस धरा धाम को महिषासुर जैसे दानव के पापों से मुक्त करने के लिए माता दुर्गा को महालया अमावस्या के दिन ही बुलाया गया था।

10. . ऐसी मान्यता हैं अगर व्यक्ति महालया अमावस्या को किसी गरीब या फिर किसी जरूरतमंद को दान करने से भविष्य में आने वाले संकट से भी मुक्ति मिल जातीं हैं। इस दिन आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को भोजन करवाने से भी व्यक्ति को लाभ मिलता हैं।



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