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Home ›   Blogs Hindi ›   Pitra Dosh Upay: Reasons for the formation of Pitra Dosh in the horoscope and remedies for its relief.

Pitra Dosh Upay: पितृदोष, के कुंडली में बनने का कारण कारण और मुक्ति के उपाय

my jyotish expert Updated 13 Oct 2023 10:08 AM IST
Pitra Dosh
Pitra Dosh - फोटो : my jyotish
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ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के अच्छे और खरब योग निर्मित होते हैं. इसी में एक खरब दोष का नाम पितृ दोष है. जब कुंडली में पितृदोष बनता है तो कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस योग का निर्माण कई कारणों से होता है, इसलिए कुछ उपाय अपनाकर इनसे छुटकारा पाना बहुत जरूरी है. अन्यता तरक्की के मार्ग बाधित होते हैं. पितृदोष अत्यंत कष्टकारी होता है. जिस किसी की कुंडली में पितृ दोष होता है उसे वंश वृद्धि में अटकाव, कारोबार में असफलता विवाह न हो पाना और कई तरह के मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है. पितृदोष के कारण व्यक्ति के जीवन में जबरदस्त परेशानियां आने लगती हैं.  अगर उचित रुप से पितृदोष के लक्षणों को पहचानकर इस दोष को शांत किया जाए तो जीवन में सकारात्मकता का उदय होता है. 

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आइए जानते हैं कि पितृदोष क्या है, इसके कारण, लक्षण और इससे छुटकारा पाने के उपाय

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कब बनता है कुंडली में पितृ दोष 
पितर दोष ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद यदि उसका अंतिम संस्कार विधि-विधान से नहीं किया जाता है या किसी की असामयिक मृत्यु हो जाती है, तो उस व्यक्ति के साथ-साथ उसके संबंधित परिवार के सदस्यों को भी कई पीढ़ियों तक पितृदोष से पीड़ित होना पड़ता है. इसके अलावा कुंडली में यदि भाग्य भाव पंचम भाव में राहु केतु का प्रभाव एवं सूर्य का पाप प्रभावित होना इसका निर्माण करता है. पितृ दोष कई कारणों से होता है जैसे पितरों का उचित अंतिम संस्कार और श्राद्ध न करना, पितरों का अपमान करना अथवा बुजुर्गों का अपमान करना आदि.
   
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पितृ दोष का प्रभाव 
पितृदोष के कारण व्यक्ति को जीवन में संतान सुख नहीं मिल पाता है. नौकरी और बिजनेस में कड़ी मेहनत करने के बावजूद उसे नुकसान उठाना पड़ता है. परिवार में अशांति रहती है. और किसी ना किसी सदस्य की तबियत ख़राब रहती है. जीवन के शुभ कार्यों में बाधाएं आती हैं.

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पितृदोष से मुक्ति के उपाय
शाम के समय पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए. 
पितृ स्तोत्र और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें. इससे पितृ दोष की भी शांति होती है.
श्राद्ध पक्ष के समय पितरों का पूजन एवं श्राद्ध कार्य विधि विधान के साथ करना चाहिए. 
अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पूजा एवं दान कार्य करना चाहिए. 
 
 
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