खास बातें
Papmochani Ekadashi vrat katha हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. एकादशी जिसे ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि एकादशी का पूजन करने से भगवान श्री हरि प्रसन्न होते हैं. इसी के साथ मुक्ति का मार्ग भी प्राप्त होता है. आइये जान लेते हैं पापमोचनी एकादशी कथा.
विज्ञापन
विज्ञापन
विंध्याचल में कराएं चैत्र नवरात्रि दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ पाएं अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य : 09 अप्रैल - 17 अप्रैल 2024 - Durga Sahasranam Path Online
Papmochani Ekadashi vrat एकादशी के दिन पूजा और व्रत का समय बहुत शुभ माना जाता है. एकादशी के दिन पूजा करने के बाद दीपक जलाकर भगवान को सुगंध, पुष्प आदि अर्पित करके पूजा करनी चाहिए. ब्राह्मणों को भोजन खिलाना चाहिए और उन्हें दान-दक्षिणा देनी चाहिए.
पापमोचनी एकादशी कथा से मिलता है शुभ लाभ
यह पापमोचनी एकादशी दिन विशेष रूप से शुभ फल की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन दान करने से धन में वृद्धि होती है. इस दिन स्नान-दान करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी व्रत के फलस्वरूप व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. इस कारण यह पापों को समाप्त कर देने वाली एकादशी होती है. व्यक्ति को इस व्रत के प्रभाव से सभी सुख-सुविधाओं का लाभ मिलता है. जन्म और मृत्यु के बंधन से भी मुक्त होने का यह उत्तम मार्ग है. माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी की कथा करने से व्यक्ति पापों से मुक्ति पाता है.
हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर सर्व कल्याण हेतु कराएं 11000 मंत्रों का जाप और पाएं गृह शांति एवं रोग निवारण का आशीर्वाद 09 -17 अप्रैल 2024
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
धर्म शास्त्र ग्रंथों के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन कथा को करना बहुत आवश्यक होता है. पापमोचनी एकादशी का महत्व स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था. पाप मोचनी कथा के अनुसार एक अत्यंत सुंदर वन था जहाँ पर अप्सराएँ विचरण किया करती थीं. एक बार इसी स्थान में मेधावी नामक ऋषि तपस्या कर रहे होते हैं. ऋषि भगवान शिव के भक्त थे और उन्हें प्रसन्न करने हेतु भक्ति में लीन थे किंतु अप्सराएँ कामदेव की अनुयायी थीं, इसलिए एक बार कामदेव ने तेजस्वी ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए मंजू घोषा नामक अप्सरा को ऋषि के तप को भंग करने हेतु भेजा. अत्यंत आकर्षक मंजू घोषा नृत्य, गायन और सौंदर्य के माध्यम से ऋषि को अपनी ओर आकर्षित करने लगी. इस प्रकार के कार्यों द्वारा ऋषि की तपस्या को भंग करने में वह सफल रहीं.
कामाख्या देवी शक्ति पीठ में चैत्र नवरात्रि, सर्व सुख समृद्धि के लिए करवाएं दुर्गा सप्तशती का विशेष पाठ : 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024 - Durga Saptashati Path Online
पापमोचनी एकादशी व्रत से दूर हुए पाप : ऋषि अप्सरा की सुंदरता पर मोहित हो गए. ऋषि अपने तप को भूल कर उस अप्सरा की ओर चल पड़े. वर्षों तक उसके साथ भोग विलासिता में समय बिताया. लेकिन तब काफी समय बीत जाने के बाद मंजु घोषा ने ऋषि से वापस जाने की अनुमति मांगी, तब तेजस्वी ऋषि को अपनी गलती और अपनी तपस्या भंग होने का बोध हुआ. अपनी तपस्या के बल से उन्हें पता चला कि मंजू घोषा ने किस प्रकार उनकी तपस्या भंग की थी.
अप्सरा की इस हरकत से ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने मंजू घोषा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया. श्राप से मुक्ति के लिए मंजु घोषा के बार-बार अनुरोध करने पर ऋषि ने उनसे कहा कि पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो पाएंगे. ऋषि ने भी पाप किया अत: उनके सारे पुण्य नष्ट हो गये.तब प्रायश्चित के लिए ऋषि मेधावी ओर अप्सरा दोनों ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा. इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से अप्सरा और ऋषि दोनों के सभी पाप नष्ट हो गए. तब से पापमोचनी एकादशी का व्रत पापों की शांति हेतु उत्तम माना गया है.
चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024