खास बातें
What is Panchak : पंचक उन पांच नक्षत्रों से बनता है जो 27 नक्षत्रों में विशेष स्थान रखते हैं. मुहूर्त शास्त्र में पंचक को एक अत्यंत ही खासमय के रुप में जाना जाता है.What is Panchak : पंचक उन पांच नक्षत्रों से बनता है जो 27 नक्षत्रों में विशेष स्थान रखते हैं. मुहूर्त शास्त्र में पंचक को एक अत्यंत ही खासमय के रुप में जाना जाता है. पंचक यानी पांच, अर्थात ऎसे पांच दिन जब कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है, इसी कारण पंचक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है.
Panchak date and time: पंचक का समय और तिथि का निर्धारण नक्षत्र गणना एवं चंद्रमा के गोचर द्वारा पता लगाई जाती है. इस समय पर मांगलिक कार्यों को करना अनुकूल नहीं माना जाता है. पंचक पर शुभ के साथ कुछ खास कामों के लिए लग जाती है रोक.
पांच दिनों से मिलकर बना है पंचक
5 दिन 5 काम पंचक के समय पर नहीं करने का विधान रहा है. इस पंचक के समय पर अगर कामों को करना है वर्जित, है तो इसके पीछे का कारण की इस समय किया गया काम अपनी पुन: आवर्ती करता है. दोहराव कि ये स्थिति अनुकूल नही होती है. जैसे किसी शुभ काम की शुरुआत, लकड़ी का सामान खरिदना, छत डालना, दाह संस्कार करना, यात्रा करना जैसे इन कामों को करना अनुकूल नहीं माना गया है.
पंचक और मुहूर्त शास्त्र में इसका प्रभाव
हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी तरह के शुभ काम या संस्कार करने से पहले शुभ और अशुभ योग एवं मुहूर्त को देखना बहुत आवश्यक होता है. इस समय पंचक का मुहूर्त भी जरूर देखा जाता है. शादी-ब्याह में शुक्र और गुरु का शुभ होना एवं शुभ योग देखे जाते हैं उसी प्रकार घर के निर्माण के काम, यात्रा करने, कारोबार शुरु करने या सामान इत्यादि की खरीद के लिए पंचक की स्थिति को अवश्य देखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार तरह हर महीने में पांच दिन ऐसे होते हैं जिन्हें पंचक के नाम से जाना जाता है. इस समय चंद्रमा का गोचर देखते हुए इन पंचक दिनों को पहचाना जाता है. पंचक के दौरान कुछ शुभ काम करने की मनाही होती है. इन्हें अशुभ ओर नकारात्मक प्रभाव देने वाला भी माना गया है.
पंचक के नक्षत्र और चंद्रमा का गोचर
पंचक की गणना में नक्षत्र गणना एवं चंद्रमा की गोचर स्थिति स्थान रखती है. पंचक कुछ खास नक्षत्रों के कारण बनता है. ऐसे में पांच दिनों तक कुछ काम करने की मनाही होती है. आइए जानते हैं पंचक के दौरान कौन से नक्षत्र आते हैं. शास्त्रों के अनुसार पंचक के दौरान कुछ मुख्य नक्षत्र होते हैं और इन्हीम में जब चंद्रमा का गोचर होता है तब पंचक बनता है. पंचक के नक्षत्र इस प्रकार है
- धनिष्ठा नक्षत्र
- शतभिषा नक्षत्र
- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र
- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
- रेवती नक्षत्र
अब जब भौ चंद्रमा अपने गोचर काल में इन सभी में से गुजरेगा तो पंचक की स्थिति निर्मित होगी. इसी तरह से जिस दिन पंचक शुरु होगा इसी दिन के हिसाब से पंचक का प्रकार व नाम भी निर्मित होता है. रविवार के दिन पंचक होने पर रोग पंचक, सोमवार के दिन पंचक होने पर राज पंचक, मंगलवार के पंचक को अग्नि पंचक, शुक्रवार के पंचक को चोर पंचक, शनिवार के पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं. इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक को अशुभ नहीं माना जाता है.
पंचक के प्रकार
रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहते हैं.
राज पंचक
सोमवार को शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहते हैं.
अग्नि पंचक:
मंगलवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं.
मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं.
चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं.