आज से शुरु हो रहा है पंचक इन चीजों से रहना होगा दूर
पंचांग के अनुसार 22 मई 2022 रविवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के साथ ही पंचक का आरंभ होगा. इस दिन पंचक का आरंभ हो रहा है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से 26 मई 2022, बृहस्पतिवार को 24:39 बजे पंचक का समापन होगा. पंचक के समय के दौरान चीजों की पुनरावृत्ति का प्रभाव देखने को मिलता है ऎसे में पंचक के दोरान होने वाले कुछ कार्यों को करना अनुकूल नहीं माना जाता है जैसे घर की छत डालना, दाह संस्कार करना, इंधन इकट्ठा करना, किसी शुभ कार्य को करना इत्यादि क्योंकि पंचक समय पर यदि कोई कार्य किया जाए तो उसके पांच बार पुन: होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं इसलिए पंचक के दौरन यदि कोई कार्य करना अनिवार्य होता भी है तो उस कार्य हेतु पंचक शांति करने का विधान करना अत्यंत आवश्यक होता है.
पंचक कैसा लगता है
ज्योतिष के अनुसार पंचक तब होता है जब चंद्रमा कुम्भ से मीन राशि में गोचर करता है. इसके साथ ही पंचक के दौरान धनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र आते हैं, उन्हें पंचक कहा जाता है. ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद और रेवती नक्षत्र होते हैं. इस समय के पर पंचक काल अवधि को बहुत ही विशेष माना गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार पंचक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन कुछ स्थितियों में कुछ कार्यों को छोड़कर अन्य क्रियाएं की जा सकती हैं. ऐसा माना जाता है कि अग्नि पंचक में मंगल से संबंधित चीजों का प्रयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए और इससे बचना चाहिए. क्रोध से दूर रहकर वाणी को मधुर बनाना चाहिए.
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इस बार बना 'रोग पंचक' का योग
रविवार से शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहा जाता है, सोमवार से शुरू होने पर इसे राज पंचक कहा जाता है, जब पंचक मंगलवार को शुरू होता है तो इसे अग्नि पंचक कहा जाता है, शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है और शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु कहा जाता है. इसे पंचक कहते हैं. पंचक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन जब बुधवार और गुरुवार से पंचक शुरू हो जाए तो पंचक के पांच कार्यों के अतिरिक्त शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं.
पंचक सभी के लिए एक भय है, इसलिए सत्य को जानना चाहिए. भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, पंचक काल के बारे में बहुत सारे मिथक और कथाएं हैं. पंचक का अर्थ है पांच का समूह. भारतीय ज्योतिष के अनुसार, पंचक वह समय अवधि है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि को प्रभावित करता है. कुल समय, जब चंद्रमा कुम्भ और मीन राशियों को प्रभावित करता है, जिसे पंचक कहा जाता है. इस समयावधि को लेकर सबके अपने-अपने विचार हैं.
तो पंचक के बारे में बहुत सारे मिथक हैं. पंचक ज्यादातर पांच नक्षत्रों का एक समूह है जो धनिष्ठा, रेवती, पूर्व भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और शतभिषा हैं. ये पांच नक्षत्र पंचक बनाते हैं. यह समय शुभ कार्यों के लिए अशुभ समय कहलाता है. ऐसी मान्यता है कि इस पंचक काल में हर शुभ कार्य से किसी को कोई लाभ नहीं होता है. इसका एक और नाम भी है जो दुर्भाग्यपूर्ण समयावधि है.
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