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Home ›   Blogs Hindi ›   Navratri 2024 Day 6: Worship Maa Katyayani on the day six

Navratri 2024 6th Day नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा से दूर होंगे सभी कष्ट

Acharya Rajrani Sharma Updated 13 Apr 2024 02:00 PM IST
Maa Katyayani
Maa Katyayani - फोटो : myjyotish

खास बातें

Maa Katyayani Puja : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने की परंपरा है. देवी कात्यायनी पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट. माता की पूजा भक्तों को देती है शक्ति और भक्ति का आशीर्वाद. 
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Maa Katyayani Puja : नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने की परंपरा है. देवी कात्यायनी पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट. माता की पूजा भक्तों को देती है शक्ति और भक्ति का आशीर्वाद. 

Durga Puja Sixth Day : नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं. देवी मां के इस रूप की पूजा करने से परेशानियां दूर हो जाती हैं. देवी को सृष्टि की पालनहार के रुप में पूजा जाता है. आइये जान लेते हैं माता का पूजन अर्जन और कथा विधान. 

देवी कात्यानी अवतरण दुष्ट शक्तियों के विनाश हेतु हुआ था. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की कठोर तपस्या की. माता ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में अवतरण लिया था. इसी के साथ ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी. 

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माता कात्यायनी पूजा विधान 2024

मां कात्यायनी के लिए रोजाना की तरह सुबह जल्दी उठकर पूजा आरंभ करनी चाहिए. प्रात:काल  स्नान कार्यों से निवृत्त होकर पूजा स्थल मां की मूर्ति या तस्वीर को फूलों से सजाएं. पूजा में फल, फूल, मिठाई, लौंग, इलायची, अक्षत, धूप, दीप और केले का फल चढ़ाने चाहिए. कपूर और घी से देवी मां की आरती करें. इस दिन्ज पूजा में माताकी आरती, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए. भक्तों से प्रसन्न होकर माता आशीर्वाद देती हैं और सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं. 

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माता की क्था 

महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से माँ भगवती प्रसन्न हुईं और उन्हें साक्षात् दर्शन दिये. ऋषि कात्यायन ने अपनी माता से अपनी इच्छा व्यक्त की, इस पर माता भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेती हैं. इस दिन माता की इस कथा को करने तथा आरती को करने से भक्तों को सुख की प्राप्ति होती है.

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मां कात्यायनी की आरती Maa katyayani ki Aarti 

जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।
उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ ।
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी ।
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह ।
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित ।
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि ।
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा ।
नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली ।
तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया ।
देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा ।
तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

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जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि ।
सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

जय-जय अग्निज्वाला, साध्वी भवप्रीता ।
करो हरण दुःख मेरे, भव्या सुपुनीता॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

अघहारिणि भवतारिणि, चरण-शरण दीजै ।
हृदय-निवासिनि दुर्गा, कृपा-दृष्टि कीजै ॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

ब्रह्मा अक्षर शिवजी, तुमको नित ध्यावै ।
करत ‘अशोक’ नीराजन, वाञ्छितफल पावै॥
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।
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