National Cancer Awareness Day
- फोटो : my jyotish
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लाखों लोग कैंसर जैसी घातक बिमारी से मर जाते हैं. कैंसर के अनेक प्रकार देखने को मिल सकते हैं इनमें से अधिकांश का इलाज उस समय ही हो पाता है जब यह शरीर को पूर्ण रुप से कमजोर बना देता है ऎसे में कैंसर जैसी बीमारी एक ऎसी गंभीर समस्या के रुप में उभरी है जिससे निजात पाने के लिए लगातार कार्य हो रहे हैं. कैंसर जैसी बिमारी के प्रति लोगों का ध्यान एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए 2014 में स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने कैंसर दिवस के रुप को मनाने का निर्णय किया. लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के साथ ही इस घातक रोग से कैसे बचा जाए उससे संबंधित विचारों को साझा किया जाता रहा है. कैंसर के दो-तिहाई मामलों का पता आखिरी चरण में चलता है और ऎसे में इस रोग के कारण मृत्यु दर की स्थिति भी बहुत अधिक है.
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इस घातक बीमारी के खिलाफ देश की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम 1975 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत के साथ शुरू हुआ, जिसका आधुनिक रुप आज राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के रुप में देखने को मिलता है. हर साल 7 नवंबर को लोगों कैंसर जांच के लिए जागरुक किया जाता है. कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने और इसकी रोकथाम के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पुस्तिकाओं और अन्य सोशल साधनों का उपयोग होता है.
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ज्योतिष शास्त्र बनता है सहायक इस घातक बिमारी को जानने में
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ज्योतिष शास्त्र में रोग शास्त्र शाखा के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी को समझा जा सकता है. कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति एवं भाव प्रभाव के द्वारा व्यक्ति के रोग को जान पाना संभव होता है. ज्योतिषीय के नजरिये से कैंसर जैसे रोग को भी पकड़ पाना संभव हो सकता है. ज्योतिष विद्या के द्वारा कुछ विशेष योग ग्रह स्थिति नक्षत्रों का प्रभाव किसी व्यक्ति को कब रोग से प्रभावित कर सकता है यह बात बता पाना संभव होता है वहीं रोग कितना घातक हो सकता है तथा इस रोग की संभावना शरीर के किस अंग में अधिक हो सकती है यह सब बातें ज्योतिष के द्वारा जानी जा सकती हैं इन सभी में कैंसर जैसे रोग को भी जान पाना संभव है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
कुंडली में छठे भाव और इसके स्वामी की स्थिति पाप प्रभाव में है तथा मंगल शनि राहु केतु बुध जैसे ग्रहों का असर किसी भी ग्रह को पीड़ा दे रहा है तो रोग के घातक होने की संभावना अधिक होती है. कुंडली में बुध को वाणी एवं त्वचा का कारक माना गया है और जब यह पाप प्रभाव में होता है तो त्वचा से संबंधित कैंसर दे सकता है. इस प्रकार कुंडली के अन्य योगों को ध्यान में रखते हुए इस घातक रोग को जान पाना संभव हो सकता है.