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Narali Purnima 2023: जानिए कब मनाई जाएगी नारली पूर्णिमा और क्या है इसके पिछे की विशेषता

my jyotish expert Updated 28 Aug 2023 02:36 PM IST
Narali Purnima 2023: जानिए कब मनाई जाएगी नारली पूर्णिमा और क्या है इसके पिछे की विशेषता
Narali Purnima 2023: जानिए कब मनाई जाएगी नारली पूर्णिमा और क्या है इसके पिछे की विशेषता - फोटो : my jyotish
नारली पूर्णिमा का पर्व महाराष्ट्र दक्षिण भारत तथा उत्तर भारत में जहां राखी का त्योहार सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में नारियल पूर्णिमा या नारली पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. आइए जानते हैं क्या है नारली पूर्णिमा पर्व से जुड़ी बातें और इस बार यह कब मनाया जाएगा.  नारली पूर्णिमा का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा, रक्षा बंधन और कजरी पूर्णिमा जैसे अन्य त्योहारों की तरह मनाया जाता है. उत्तर भारत में जहां सावन पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार मनाया जाता है, वहीं महाराष्ट्र कोंकण एवं दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में नारियल पूर्णिमा या नारली पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. 

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नारली पूर्णिमा कब होगी 
नारली शब्द का अर्थ है नारियल और पूर्णिमा का अर्थ है पूर्णिमा का दिन. इस दिन नारियल का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष नारली पूर्णिमा का पर्व पंचांग के अनुसार 31 अगस्त को मनाया जा रहा है.  नारली पूर्णिमा के दिन जल और समुद्र के देवता की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन वरुण देव को नारियल चढ़ाने की प्रथा है. ऐसा माना जाता है कि श्रावण पूर्णिमा पर पूजा अनुष्ठान करने से भगवान वरुण प्रसन्न होते हैं और उन्हें समुद्र के सभी खतरों से बचाते हैं. 

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नारली पूर्णिमा पूजन विशेष 
नारली पूर्णिमा का त्योहार तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है भगवान शिव को नारियल और उनकी पसंदीदा चीजें अर्पित की जाती हैं. दक्षिण भारत में इस दिन उपनयन या यज्ञ अनुष्ठान सबसे अधिक व्यापक रूप से किया जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर जनेऊ बदलने की परंपरा है. 

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इसी कारण से इस पर्व को अबितम, श्रावणी पर्व के साथ कुछ तर्पण कार्य भी इस समय पर किए जाते हैं. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराने या दान देने की भी परंपरा है. विशेषकर समुद्री तट के लोग नारली पूर्णिमा का त्योहार मनाते हैं.इस समय के दौरान प्रकृति का पूजन होता है. सृष्टि के तत्वों की पूजा हेतु यह समय विशेष होता है.
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