narak chaturdashi
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नरक चतुर्दशी उन कुछ विशेष समय में होता है जब अकाल मृत्यु से भय का सुख प्राप्त किया जा सकता है. इस दिन कि जाने वाले कार्य भक्तों को विशेष सुख प्रदान करने वाले होते हैं इसके अलावा इस समय पर भूलकर भी कुछ काम नहीं करने चाहिए. आइये जानें इस दिन पर क्या करें ओर किन कामों को करने से मिलता है
अकाल मृत्यु से भय की मुक्ति . नरक चतुर्दशी का समय धनतेरस के अगले दिन मनाया जाता है इस दिन यम देव का पूजन होता है तथा मां लक्ष्मी जी का पूजन भक्तों को सुख के साथ समृद्धि का वर प्रदान करता है.
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नरक चतुर्दशी पर होता है यम पूजन
नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले और धनतेरस के बाद मनाई जाती है. नरक चतुर्दशी और दिवाली का दिन कई बर एक ही समय पर भी पड़ सकता है. इस चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है.
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धर्म कथाओं एवं मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है. अत: कष्टों से मुक्ति हेतु इस दिन भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन कुछ कार्य करने से शुभता की प्राप्ति होती है . आइए जानते हैं वो कौन से काम हैं जिन्हें इस दिन करना चाहिए.
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नरक चतुर्दशी के दिन यम के निमित्त दीपक जलाना आवश्यक कार्य होता है. इस दिन अपना घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए और इस दिन घर के दक्षिण दिशा में दीपक जरुर जलाना चाहिए. ऎसा करने से व्यक्ति को यम पाश से मुक्ति का सुख मिलता है. अगर आपको किसी जरूरी काम को पूरा करना है तो इस दिन दीपक में काले तिल डालने चाहिए इसके साथ ही यम मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए.
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इस दिन घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए लक्ष्मी जी का पूजन रात्रि के समय पर करना शुभ होता है. अकाल मृत्यु से बचने के लिए नरक चतुर्दशी के दिन घर की दक्षिण दिशा में दीपक में एक कौड़ी और एक रुपये का सिक्का रख कर इसे जरुर जलाना चाहिए. ऎसा करने से अकाल मृत्यु से बचाव होता है तथा सुखों की प्राप्ति होती है.