myjyotish

6386786122

   whatsapp

8595527218

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Nagpanchami 2023: The story of a believer sage is related to Nagpanchami, know what is this belief?

Nagpanchami 2023: नागपंचमी से जुड़ी है आस्तिक ऋषि की कथा, जानें क्या है ये मान्यता?

my jyotish expert Updated 21 Aug 2023 02:04 PM IST
Nagpanchami 2023: नागपंचमी से जुड़ी है आस्तिक ऋषि की कथा, जानें क्या है ये मान्यता?
Nagpanchami 2023: नागपंचमी से जुड़ी है आस्तिक ऋषि की कथा, जानें क्या है ये मान्यता? - फोटो : my jyotish
नाग पंचमी का समय नागों की पूजा हेतु विशेष माना गया है. हिंदू धर्म में नाग का संबंध कई देवी देवताओं से भी रहा है. इस बार नागपंचमी का पर्व आने वाले सोमवार के दिन मनाया जाएगा.  इस दिन नागदेवता की पूजा मुख्य रूप से की जाएगी तथा भगवान शिव का पूजन भी होगा. हमारे समाज में सांपों से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं. कई कथाओं में नागों का जिक्र भी हमें मिलता है. इनके पीछे कोई न कोई धार्मिक या मनोवैज्ञानिक पहलू होता है. इस समय के दोरान आस्तिक ऋषि का संदर्भ भी अवश्य आता है. कहा जाता है कि इनके नाम के स्मरण मात्र से ही नाग किसी प्रकार की हानि नहीं करते हैं. व्यक्ति को नाग दोष से मुक्ति भी प्राप्त होती है. आइये जाने क्या है इस दिन का आस्तिक ऋषि के साथ संबंध ओर क्यों इनके नाम की महिमा नागों ने भी अपनाई. 

सौभाग्य पूर्ण श्रावण माह के सावन पर समस्त इच्छाओं की पूर्ति हेतु त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगं में कराए रूद्र अभिषेक - 31 जुलाई से 31 अगस्त 2023

नाग पंचमी और आस्तिक ऋषि
हर साल नाग पंचमी का त्योहार सावन शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है. हमारे धर्म ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां बताई गई हैं. उन्हीं कहानियों में से एक नागदाह यज्ञ की भी है. इस कहानी में एक ऋषि का भी वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि इनका नाम लेते ही जहरीले और खतरनाक सांप भी भाग जाते हैं. राजा जनमेजय ने नागदह यज्ञ किया था जिसमें इन ऋषि के द्वारा ही नागों का जीवन बच पाया था. 

नाग पंचमी पर परिवार मे सुख एवं समृद्धि प्राप्ति करने का एक मात्र उत्तम दिन, घर बैठे कराएं पूजा नागवासुकि मंदिर, प्रयागराज - 21 अगस्त 2023

जन्मेजय यज्ञ 
महाभारत के अनुसार, अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी. जब यह बात उनके पुत्र राजा जनमेजय को पता चली तो उन्होंने नागदाह यज्ञ करने का निर्णय लिया. जब नागदाह यज्ञ प्रारम्भ हुआ तो उसकी अग्नि में छोटे-बड़े, बूढ़े और जवान साँप गिरने लगे. यज्ञ के भय से तक्षक नाग देवराज इन्द्र के यहाँ छिप गया.जब नागों के राजा वासुकि को नागदाह यज्ञ के बारे में पता चला तो वह अपनी बहन जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि के पास गए. तब आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ रोकने का अनुरोध किया इस प्रकार आस्तिक ऋषि ने सांपों को भस्म होने से बचा लिया. इसलिए आज भी इनके नाम के समक्ष नाग नतमस्त होते हैं. मान्यता है कि जो भी सांपों के डर के समय आस्तिक मुनि का नाम लेता है, उसे सांप नहीं काटते हैं. 
 
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support


फ्री टूल्स

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X