Nagpanchami 2023: नागपंचमी से जुड़ी है आस्तिक ऋषि की कथा, जानें क्या है ये मान्यता?
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नाग पंचमी का समय नागों की पूजा हेतु विशेष माना गया है. हिंदू धर्म में नाग का संबंध कई देवी देवताओं से भी रहा है. इस बार नागपंचमी का पर्व आने वाले सोमवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन नागदेवता की पूजा मुख्य रूप से की जाएगी तथा भगवान शिव का पूजन भी होगा. हमारे समाज में सांपों से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं. कई कथाओं में नागों का जिक्र भी हमें मिलता है. इनके पीछे कोई न कोई धार्मिक या मनोवैज्ञानिक पहलू होता है. इस समय के दोरान आस्तिक ऋषि का संदर्भ भी अवश्य आता है. कहा जाता है कि इनके नाम के स्मरण मात्र से ही नाग किसी प्रकार की हानि नहीं करते हैं. व्यक्ति को नाग दोष से मुक्ति भी प्राप्त होती है. आइये जाने क्या है इस दिन का आस्तिक ऋषि के साथ संबंध ओर क्यों इनके नाम की महिमा नागों ने भी अपनाई.
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नाग पंचमी और आस्तिक ऋषि
हर साल नाग पंचमी का त्योहार सावन शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है. हमारे धर्म ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां बताई गई हैं. उन्हीं कहानियों में से एक नागदाह यज्ञ की भी है. इस कहानी में एक ऋषि का भी वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि इनका नाम लेते ही जहरीले और खतरनाक सांप भी भाग जाते हैं. राजा जनमेजय ने नागदह यज्ञ किया था जिसमें इन ऋषि के द्वारा ही नागों का जीवन बच पाया था.
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जन्मेजय यज्ञ
महाभारत के अनुसार, अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी. जब यह बात उनके पुत्र राजा जनमेजय को पता चली तो उन्होंने नागदाह यज्ञ करने का निर्णय लिया. जब नागदाह यज्ञ प्रारम्भ हुआ तो उसकी अग्नि में छोटे-बड़े, बूढ़े और जवान साँप गिरने लगे. यज्ञ के भय से तक्षक नाग देवराज इन्द्र के यहाँ छिप गया.जब नागों के राजा वासुकि को नागदाह यज्ञ के बारे में पता चला तो वह अपनी बहन जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि के पास गए. तब आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ रोकने का अनुरोध किया इस प्रकार आस्तिक ऋषि ने सांपों को भस्म होने से बचा लिया. इसलिए आज भी इनके नाम के समक्ष नाग नतमस्त होते हैं. मान्यता है कि जो भी सांपों के डर के समय आस्तिक मुनि का नाम लेता है, उसे सांप नहीं काटते हैं.